सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार नौ जजों ने ली शपथ-नईदिल्ली

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
➖➖➖➖➖➖➖➖
नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट में आज 09 जजों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने तीन महिला न्यायाधीश सहित 09 नये जजों को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई। इनमें से आठ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या जज हैं , इनके अलावा एक वरिष्ठ वकील भी सीधे सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त किये गये हैं। शपथ ग्रहण समारोह उच्चतम न्यायालय के अतिरिक्त भवन परिसर के सभागार में आयोजित हुआ। साथ ही पहली बार जजों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण भी किया गया। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब 09 न्यायाधीश एक साथ शपथ ग्रहण किये। साथ ही सर्वोच्च अदालत में तीन महिला जजों ने भी पहली बार एक साथ शपथ ली है। शीर्ष अदालत के जजों के रूप में पद की शपथ लेने वाले नौ नये जजों में न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका (जो कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे) , न्यायमूर्ति विक्रम नाथ (जो गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे) , न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी (जो सिक्किम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे) , न्यायमूर्ति हिमा कोहली (जो तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश थीं) और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना (जो कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश थीं) शामिल हैं। इनके अलावा न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार (जो केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे) , न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश (जो मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे) , न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी (जो गुजरात हाईकोर्ट की न्यायाधीश थीं) और पी०एस० नरसिम्हा (जो एक वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल थे) को भी सीजेआई द्वारा पद की शपथ दिलाई गई। न्यायमूर्ति नागरत्ना सितंबर 2027 में पहली महिला सीजेआई बनने की कतार में हैं। न्यायमूर्ति नागरत्ना का 30 अक्टूबर 1962 को जन्म हुआ और वह पूर्व सीजेआई ई०एस० वेंकटरमैया की बेटी हैं। इन नौ नये जजों में से तीन- न्यायमूर्ति नाथ और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति नरसिम्हा सीजेआई बनने की कतार में हैं। न्यायमूर्ति नाथ फरवरी 2027 में शीर्ष अदालत के जज न्यायमूर्ति सूर्यकांत के सेवानिवृत्त होने पर देश के सीजेआई बनने की कतार में हैं। अब तक सुप्रीम कोर्ट में कोई भी महिला चीफ जस्टिस नही हुई है। वर्तमान में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी शीर्ष अदालत में एकमात्र सेवारत महिला जज हैं , जिन्हें सात अगस्त 2018 को मद्रास हाईकोर्ट से पदोन्नत किया गया था , जहां वे मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थीं। हाईकोर्ट के जज 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं वहीं सुप्रीम कोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 है। इन नये जजों की शपथ के बाद शीर्ष अदालत में सीजेआई एनवी रमना समेत जजों की संख्या बढ़कर 33 हो पहुंच गई , जबकि स्वीकृत संख्या 34 है। खास बात यह है कि जस्टिस नरसिम्हा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रहते हुये सरकार के महत्वकांक्षी कानून , एनजेएसी , जिसमें उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति की व्यवस्था की गई थी उसकी वकालत कर चुके हैं। वे स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से आते हैं। जस्टिस नरसिम्हा सुप्रीम कोर्ट में सीधे जज बनने वाले नौवें वकील हैं। यह पहली बार नहीं होगा कि सीधे जज बनने वाले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। इससे पूर्व जस्टिस एसएम सीकरी भी वकील से सीधे जज बन थे और जनवरी 1971 में देश के मुख्य न्यायाधीश बने थे। गौरतलब है कि नौ नये जजों के नामों को सीजेआई रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 17 अगस्त को हुई बैठक में मंजूरी दी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में नये जजों की नियुक्ति को लेकर 21 माह से जारी गतिरोध खत्म हो गया था। इस गतिरोध के कारण ही वर्ष 2019 के बाद से एक भी नये जज की नियुक्ति शीर्ष कोर्ट में नहीं हो सकी थी। तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की 17 नवंबर 2019 को विदाई के बाद से यह गतिरोध कायम था।

Ravi sharma

Learn More →