विश्व में जल संकट,पानी के लिए हो सकता है अगला विश्वयुद्ध-मधुरेन्द्र सैंड आर्टिस्ट

विश्व भूगर्भ जल दिवस-जल ही जीवन है, इसका मूल्य समझे: मधुरेन्द्र सैंड आर्टिस्ट

पूर्वी चंपारण,मोतिहारी-जल नहीं तो कल नहीं, पीने योग्य पानी का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल ही है, मगर अनियोजित औधोगीकरण, प्रदूषण और इनके दुरुपयोग के प्रति असंवेदनशीलता पूरे विश्व को एक बडे़ जल संकट की ओर ले जा रही है। उपरोक्त बातें बुधवार को पूर्वी चंपारण निवासी विश्वविख्यात सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने 10 जून को विश्व भूगर्भ जल दिवस के अवसर पर कही। मधुरेन्द्र ने अपनी कलाकृति के जरिए लोगों को यह संदेश देते बताया कि पैकेट और बोतल बन्द पानी आज विकास के प्रतीकचिह्न बनते जा रहे हैं। और अपने संसाधनों के प्रति हमारी लापरवाही अपनी मूलभूत आवश्यकता को बाजारवाद के हवाले कर देने की राह आसान कर रही है।

बता दें कि आसन्न जल संकट ने न सिर्फ हमारे पास-पड़ोस बल्कि, अपने देश के विभिन्न राज्यों के बीच भी विवाद खडे करने शुरु कर ही दिए हैं. जल संकट ने कई पड़ोसी देशों को भी एक-दूसरे के आमने-सामने ला दिया है। ये परिस्थितियाँ विश्व को निश्चित रुप से उस विचार को हकीकत में परिणत करने की ओर ले जा रही हैं, जिसमें अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए होने के अनुमान लगाए जाते रहे हैं।

गौरतलब हो की मधुरेन्द्र ने महात्मा गांधी की कथित बातों को दुहराते कहा कि – “धरती हरेक की आवश्यकता की पूर्ति कर सकती है, मगर किसी एक के भी लोभ की पूर्ति नहीं कर सकती।” हम इस कथन के भावार्थ को आत्मसात करें और अपने लोभ के लिए इस अमूल्य संसाधन से खिलवाड़ न करते हुए इस पृथ्वी को उसके मूलभूत स्वरूप में यथासंभव बनाए रखने में अपना यथोचित योगदान दें, इसी में ऐसे दिवसों की सार्थकता है। सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ऐसे ही ज्वलंत विषयों पर अपनी बेहतरीन कलाकृतियों के जरिए लोगों के दिल में अपनी कृतियों का छाप छोड़ते रहतें हैं।

Ravi sharma

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