विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2020 पर प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डा० मनोज कुमार-

ऑफिस डेस्क-लौकडाउन में ऑनलाइन माध्यम से बच्चों और युवाओं को किया गया जागरूक।बताया गया बच्चों में
सेकेंड हैंड स्मोकिंग हैं खतरनाक!

हो सकता हैं कोरोना

माता-पिता बेहतर संवाद स्थापित कर बच्चों को दिलायें ई-सिगरेट से छुटकारा

-डॉ॰ मनोज कुमार

तंबाकू और निकोटीन से संबंधित नशा बच्चों और युवाओं के बीच लोकप्रियता के चरम पर है। युवाओं में यह भ्रांति धर कर बैठी है की
दुनिया में हर किसी को नशा है।किसी को शोहरत पाने का।कॊई रातों रात अमीर बनना चाहता है।एग्जाम में अव्वल आने की जदोजहद हो या कम समय में अपनी उपलब्धि को हासिल कर लेना।इनसब का प्रभाव है कि रातदिन की इन तनावों को बच्चे और युवा तंबाकू और निकोटिन से जुङे उत्पादों के सहारे निपटा रहें हैं ।इनके बीच कभी चाय की चुस्कीयां कभी सिगरेट के कश ।कभी गुटखा-पान तो कभी ई-सिगरेट की तलब देखा जा रही। नशा कोई भी हो अमूमन हर घर में किसी न किसी को नशे कि गिरफ्त में पाया जा रहा।स्कूल गोइंग बच्चों में व्हाइटनर का इस्तेमाल बङे बेफिक्री से किया जा रहा।युवतियां भी अपने स्टै्श कम करने के लिए हुक्का और ई-सिगरेट,शीशा आदि ले रही हैं।दिन प्रतिदिन की प्रतिस्पर्धा को मिटाने के लिए गुटखा,व अत्याधिक निकोटिन उत्पादों का इस्तेमाल धङल्ले से किया जा रहा ।
इन सभी नशे का प्रभाव बच्चों व युवाओं के शरीर व मन पर पङता है।स्मोकिंग की वजह से फेफङो में टार जमा हो जाता है जो आगे जाकर श्वसन से जुड़े रोग व कैंसर आदि को जन्म भी देता है। इन सब के आलावा उनके व्यवहार में असंतुलन बच्चों व युवाओं की खराब होती मानसिकता को बता रही है।
तंबाकू और निकोटिन से जुङे उत्पाद युवाओं और बच्चों में आकर्षण का क्रेन्द बन रहा।अलग-अलग तंबाकू और निकोटिन उत्पाद के फ्लेवर्स भी एक दुसरे से जुदा-जुदा सा है।जैसे शीशा और ई-सिगरेट का बढता प्रचलन इस बात का गवाह है।
विश्व स्वास्थय संगठन मानता है की इस तरह के सुस्वादु तंबाकू और निकोटिन संबंधित उत्पादों की किस्में संपूर्ण विश्व में 15000 के करीब है। जो पुरी दुनिया को अलग-अलग तरीके से वहां के बच्चो और युवापीढ़ी को लुभाती व रिझाती रही है। तंबाकू उत्पादों का फ्री डिस्ट्रीब्यूशन और सैंपल से जुङे कार्यक्रम युवाओं को इसके सेवन के लिए प्रेरित करते हैं। आजकल उत्पाद के विज्ञापन सोशल मीडिया पर तो आ ही रहें हैं लेकिन टीवी और अन्य माध्यम भी इसे बढावा दे रहे ।जिससे इसकी पहुंच आम व खास बच्चों और युवाओं तक हो जा रही

तंबाकू उत्पादों का माक्रेटिंग ट्रेड बदला

आजकल बच्चों और युवाओं को लुभाने के लिए सोशल मीडीया में ट्रेंड चल रहा की ज्यादा से ज्यादा इसके उत्पाद नये लोगों तक पहुँच सके।बकायदा स्पोन्सर्ड प्रोग्राम भी इसके लिए किये जा रहें।बच्चों को छात्रवृत्ति मुहैया कराना,उन्हें फैशन से जुड़े कपङे भेंट करना।
मनोरंजन इंडस्ट्री भी कमोबेश इसी रास्ते चल रहा।

सेंकड हैंड स्मोकिंग है खतरनाक

इस वैश्विक महामारी में बंदी के बावजूद तंबाकू खाने और निकोटीन संबंधित चाय-कौफी,सिगरेट-बीङी पीने वाले किसी न किसी बहाने घर से बाहर निकल रहें।सङक किनारे रहने वाले घरों के बच्चे व युवाओं में इसकी तलब होते ही इकट्ठे होते देखा जा रहा।यहां एक ही स्टिक से बहुत लोग कश लगा लेते हैं जो काफी गंभीर मसला होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पुरे विश्व में 1 करोड़ लोग सेकेंड हैंड स्मोकिंग से प्रतिवर्ष मर रहें हैं ।

ई-सिगरेट व शीशा भी हैं घातक

युवाओं व घरेलु बच्चों में ई-सिगरेट व शीशा का उपयोग बहुत ही घातक साबित हो रहा।ई-सिगरेट ह्रदयघात,फेफङा जनित बीमारी के लिए जिम्मेवार बताया जा रहा वहीं इसके इस्तेमाल करने वाले बच्चों में उनका ब्रेन का विकास सही से नही होता।इसी तरह शीशा स्मोकिंग की तलब भी बच्चों में देखने को मिल रही जिससे उन्हें जोखिम के दायरे में रखा गया है। इस तरह के स्मोकिंग से टौक्सिक को बच्चे इन्हेल करते हैं जो कि आगे जाकर बच्चों में उनमें कैंसर पनपाता है।

शोध के आंकड़े चौंकाने वाले

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि विश्व के करीब 25 करोड़ बच्चों द्वारा तंबाकू और निकोटीन संबंधित उत्पादों का विज्ञापन अकेले सोशल मीडिया पर देखा और सुना जा रहा।
विश्व में प्रतिवर्ष 8 करोड़ लोगों को तंबाकू सेवन से मौतें हो रही हैं।
संपूर्ण विश्व में 9 विलियन डॉलर का कारोबार तंबाकू और निकोटीन का है।
इस महामारी में बच्चों और युवाओं को इस तरह के व्यसन से दूर रखना प्रत्येक सरकार और माता-पिता को प्रमुखता से रखनी होगी ताकि भारत का भविष्य सुरक्षित रह सके ।

–डॉ॰ मनोज कुमार, मनोवैज्ञानिक, पटना द्वारा समाज के लिए जारी।
संपर्क- 9835498113

Ravi sharma

Learn More →