राजनेता दिशाहीन ना हो यह व्यासपीठ का दायित्व – पुरी शंकराचार्य

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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अयोध्या – ऋग्वैदिय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज अपनी राष्ट्र रक्षा अभियान के अंतर्गत 22 नवंबर तक श्रीधाम अयोध्या के प्रवास पर हैं। यहाँ पर उनका संगोष्ठी , प्रवचन एवं धर्मसभा प्रस्तावित है। धर्मसभा को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि वेदादि शास्त्रसम्मत राजनीति की परिभाषा को विश्वस्तर पर ख्याति करने पर सम्पूर्ण विश्व का कल्याण सम्भव है। उन्होंने आगे कहा कि सुसंस्कृत , सुशिक्षित , सुरक्षित , सम्पन्न , सेवापरायण और स्वस्थ तथा सर्वहितप्रद व्यक्ति और समाज की संरचना राजनीति की परिभाषा होनी चाहिये। शास्त्रसम्मत विधा से विकास को परिभाषित करते हुये उसके क्रियान्वयन की विधा भी शास्त्रसम्मत हो , तभी सभी का कल्याण सम्भव हो सकेगा अन्यथा विकास के स्थान पर विनाश ही दृष्टिगोचर होता है। राजनीति का नाम राजधर्म भी है , राजनेता दिशाहीन ना हो यह व्यासपीठ का दायित्व होता है l गौरतलब है कि अपनी हिन्दू राष्ट्र उद्घोषणा के अभियान के तहत पुरी शंकराचार्य जी सम्पूर्ण भारतवर्ष एवं नेपाल प्रवास पर रहते हैं। इस अवसर पर धर्मसंघ पीठपरिषद् , आदित्यवाहिनी – आनन्दवाहिनी के सदस्य एवं श्रद्धालु भक्तजन उपस्थित रहे।

Ravi sharma

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