राजनीति अगर समाजसेवा है तो जनप्रतिनिधियों के सुविधा और सैलरी पर खरबों का खर्च क्यो-अमोद कुमार निराला

पटना-बिहार सरकार अविलंब सुबे के ग्रामकचहरी पंचायत प्रतिनिधियों को वेतन,पेंशन दें या विधायकगण लेना बंद करें.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित सभी मंत्री,विधायक जवाब दें? राजनीति अगर समाजसेवा है तो फिर जनता की गाढ़ी कमाई के खरबों रुपये वेतन,भत्ता,पेंशन मद में ये क्यों ले रहे है.इस लूट की छूट परंपरा यह लोग कब बंद करेंगे.हमारे ग्रामकचहरी पंचायत प्रतिनिधि अधिकार,सुविधा और प्राश्रमिक मांगते हैं तो इन जिम्मेदार लोगो को बूरा क्यों लगता है यह जवाब दें.
उक्त बातें पंच सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमोद कुमार निराला ने कहीं तथा सत्ता और प्रतिपक्ष पर आरोप लगाया कि जब विधायक,मंत्री को अपना वेतन,पेंशन बढ़ाना होता है तो तमाम नियमों को ताक पर रखकर चोर-चोर मौसेरा भाई के रूप में एकजुटता बनाकर पार्टी और सिद्धांतो कि बली चढ़ाकर लाखों की बढ़ोतरी कर लेते हैं वही जब पंचायत प्रतिनिधि मांग करते हैं तो राज्यकोष खजाना खाली होने का रोना रोते हैं.क्या हम लोग जनप्रतिनिधि नहीं हैं? क्या विधायक,विधान पार्षद,मंत्री, मुख्यमंत्री अल्लाह और ईश्वर है जो इन्हें राज्य की गरीब जनता से टैक्स के रूप में लूटा गया रुपया प्रतिमाह दान स्वरूप दे दिए जाएं.एक विधायक का बेसिक सैलेरी 55000, कंपाउंड अलाउंस 5000,चुनाव क्षेत्र भत्ता 90000,ऑफिस एक्सपेंस 30,000,डाटा ऑपरेटर 15000, टेलीफोन भत्ता 15000,कुल ₹2,10000 प्रति माह दी जाती है जबकि ₹149 में हिंदुस्तान की लगभग सभी मोबाइल कंपनियां एक माह फ्री कॉलिंग के साथ डाटा देती है, तो फिर 15000 क्यों.क्या यह लूट नहीं है?अगर 1 दिन के लिए आप विधायक बनते हैं तो 85 हजार प्रतिमाह पेंशन मिलता है.मंत्री, उपमुख्यमंत्री,मुख्यमंत्रीकी बातें छोड़ दे. जनता विचार करेंगी कि राज्य में 243 विधायक, 75 बिहार विधान परिषद सदस्य एवं दर्जनों निगम आयोग समिति,कमेटी के अध्यक्ष, सचिव, सदस्य होते हैं, प्रत्येक को 210000 है तो सैकडो पूर्वविधायक, पार्षद, मंत्री को मिलने वाली राशि को जोड़ दें तो प्रतिमाह राज्य की गरीब जनता से जबरन जुर्माना टैक्स के रूप में वसूला गया खरबों रुपया यह झूठे समाजसेवी नेता जनता को गुमराह कर जबरन हड़प रहे है.यह नौटंकी तुरंत बंद होनी चाहिये.क्या यही है सरकार का न्याय के साथ विकास का वादा.कौन नहीं जानता कि बिहार के किसी कार्यालयों में बिना घूस या कमीशन कोई काम नहीं होता है.बिना घूस का कुछ नहीं होता रही बात न्याय का तो न्याय के लिए लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.जबकि शिक्षा,स्वास्थ भोजन,आवास,न्याय सभी को सस्ता सरल और ससमय मिलनी ही चाहिए. पर ऐसा इन नेताओं के बलबूते होना अब संभव नहीं दिखता.वर्तमान शासन सता ने वर्ष 2006 से माननीय न्यायालय के दबाव में ग्राम कचहरी का चुनाव करा कर ग्राम कचहरी स्थापित तो किया पर उसे भी सुविधा सहयोग विहीन बनाकर नष्ट करने पर आमादा है.ऐसे राजनेताओं के कथनी- करनी में आकाश-जमीन का अंतर प्रतीत होता है.अब याचना नहीं बल्कि लोकतांत्रिक पद्धति से रण होगा.हमारे ग्राम कचहरी और त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि एकजुटता का परिचय देते हुए जनता जनार्दन पास जाएंगे. दोहरे चरित्र वाले नेताओं का कच्चा चिट्ठा दिखाएंगे.मैं पुनः एक बार मांग करता हूं कि आर्थिक रूप से कमजोर बिहार कि जनता के साथ यह लूट का खेल बंद किया जाए, यह वेतन,भत्ता, पेंशन का खेल बंद किया जाए.अगर राजनीतिक समाजसेवा के नाम पर यह पैसा विधायक नहीं लेंगे तो हम पंचपरमेश्वर भी नहीं लेंगे.अन्यथा हमे यह अपमानजनक भत्ता नहीं चाहिए.विधायक, मंत्री भी उक्त सुविधा लेना बंद करे.इस तरह खर्च होने वाली यह महाराशि राज्यहित, जनहित, राष्ट्रहित में खर्च हो और इसका हिसाब महालेखाकार के साथ-साथ सभी छोटे बड़े जनप्रतिनिधियों को भी उपलब्ध कराई जाएं.लोकतंत्र में लूट-खसोट बंद हो. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना साकार किया जाए.जब तक विधायक, मंत्री जनता की गाढ़ी कमाई लेते रहेंगे तब तक पंचायत प्रतिनिधि भी हक,अधिकार और सम्मानजनक वेतन,भत्ता, पेंशन कि मांग करता रहेगा.

Ravi sharma

Learn More →