राजधानी के सबसे हॉट विधानसभा सीट कि ग्राउंड रिपोर्टिंग-पटना

पटना-सूबे मे चुनावी सरगर्मियां दिन ब दिन तेज हो रही है.अलग-अलग विधानसभा सीटों से चुनावी दंगल मे अपनी किस्मत आजमाने को इच्छुक उम्मीदवार अपनी-अपनी तैयारियों मे लगे है.वैसे मे राजधानी पटना के विधानसभा सीटों पर सबकी नजर होती है.भाजपा कि परंपरागत और राजधानी के सबसे हॉट विधानसभा सीट 183-कुम्हरार विधानसभा सीट पर भी चुनावी विश्लेषकों के अनुसार कांटे कि लड़ाई होने की संभावना है. जातीय समिकरण के हिसाब से देखे तो कुम्हरार विधानसभा कायस्थ मतदाता बहुल सीट है.यहां सबसे ज्यादा मतदाता कायस्थ समाज के है.उसके बाद यादव,मुसलमान और कुशवाहा जाती के मतदाता है.इस विधानसभा सीट से वर्ष 1990 से 2005 तक सुशील कुमार मोदी विधायक चुने गए.उनके बाद जातीय समिकरण को देखते हुए भाजपा ने कायस्थ समाज से आने वाले अरुण कुमार सिन्हा कि उम्मीदवारी पर दांव लगाया और अरुण कुमार सिन्हा 2005 से लगातार इस पर काबिज है.भाजपा के अलावे और कोई भी बड़े दल यहां से कायस्थ समाज से उम्मीदवार नहीं उतारते है शायद अरुण कुमार सिन्हा कि जीत का यह भी एक बड़ा फैक्टर है.

अरुण कुमार सिन्हा

वही जनहित के मुद्दों से सरोकार नहीं रखने और राजधानी मे आई बिते साल के बाढ़ मे कोई तत्परता नहीं दिखाने के कारण इस बार उनकी जीत की राह काफी कठिन होने कि संभावना है.अरुण कुमार सिन्हा के विरोध के पोस्टर भी उनके विधानसभा क्षेत्र मे कई जगहो पर लगे हुए है.सुत्र बताते है कि लोगों कि नाराजगी से सचेत अरुण कुमार सिन्हा इस विधानसभा सीट से इस बार अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य को चमकाने कि जुगत मे है.सुत्रों कि माने तो इसके लिए वह लगातार भाजपा दरबार मे लाबिंग मे लगे है.वही विधानसभा चुनाव(2015) मे इस विधानसभा सीट से कायस्थ समाज से आने वाले एक स्थानीय उम्मीदवार अजय वर्मा ने यहां से निर्दलिय चुनाव लड़ा था.

 

वैसे श्री वर्मा कि बाहुबली कि अपनी एक अलग छवि है.मगर दुसरी ओर बिते कुछ वर्षो से लगातार समाजसेवा और जनहित के कार्यों मे लगे रहने के कारण इस बार श्री वर्मा कि दावेदारी काफी मजबूत दिखाई देती है.बीते विधानसभा चुनाव मे हार का सामना करने के बावजूद श्री वर्मा लगातार अपने विधानसभा क्षेत्र मे जनहित के कार्यों मे लगे रहे.उनके साथ युवा मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग है.कायस्थ बहुल मतदाता वाले कुम्हरार विधानसभा सीट से इस बार पुन: अजय वर्मा अपनी चुनावी तैयारियों मे लगे है.हालांकि इस चुनावी दंगल मे और भी कई उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे है मगर जमीनी पड़ताल और जातीय समिकरणो के आधार पर मिली जानकारी मे मतदाताओं का झुकाव इस बार अजय वर्मा कि ओर दिख रहा है.

ऐसी स्थिति मे कोई बड़ा राजनीतिक दल या महागठबंधन अजय वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाती है तो कुम्हरार विधानसभा का इतिहास बदल सकता है और राजनीति की गेंद भाजपा के पाले से निकलकर अजय वर्मा के पाले मे आने कि संभावना बढ़ सकती है.

Ravi sharma

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