अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
जाँजगीर चाँपा — माँ शँवरीन दाई की पावन धरा अमोरा(महन्त) के स्व० रामगोपाल तिवारी की स्मृति में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के अन्तिम दिवस कथा व्यास पं० संजयकृष्ण शास्त्री ( भाईश्री) ने बताया कि ऋंगी ऋषि के श्राप को पूरा करने के लिये तक्षक नामक सांप भेष बदलकर राजा परिक्षित के पास पहुंँचकर उन्हें डस लेते हैं और जहर के प्रभाव से राजा का शरीर जल जाता है और मृत्यु हो जाती है। लेकिन श्रीमद्भागवत कथा सुनने के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त होता है। परीक्षित को जब मोक्ष हुआ तो ब्रह्मा जी ने अपने लोक में तराजू के एक पलडे़ में सारे धर्म और दूसरे में श्रीमद्भागवत को रखा तो भागवत का ही पलड़ा भारी रहा। अर्थात श्रीमद्भागवत ही सारे वेद पुराण शास्त्रों का मुकुट है। पिता की मृत्यु को देखकर राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय क्रोधित होकर सर्प नष्ट हेतु आहुतियांँ यज्ञ में डलवाना शुरू कर देते हैं जिनके प्रभाव से संसार के सभी सर्प यज्ञ कुंडों में भस्म होना शुरू हो जाते हैं तब देवता सहित सभी ऋषि मुनि राजा जनमेजय को समझाते हैं और उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं। आचार्य ने कहा कि कथा के श्रवण प्रवचन करने से जन्मजन्मांतरों के पापों का नाश होता है और विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। कथा व्यास ने प्रवचन करते हुये कहा कि संसार में मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करना चाहिये तभी उसका कल्याण संभव है। श्रेष्ठ कर्म से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। इसके पूर्व कथाव्यास ने आज श्री भगवान के दिव्य चरित्रों को गुणगान के माध्यम से नवयोगेश्वर द्वारा राजा नेवी को उपदेश , दत्तात्रेय का उपदेश व पिंगला वेश्या की कथा के माध्यम से 24 गुरुओं का उपदेश,मारकंडेय को प्रलयकारी दिव्य दृष्टि वा ज्ञान का उपदेश सुनाया। श्रीमद्भागवत कथा के मुख्य यजमान अशोक तिवारी एवं शैल तिवारी , उपाचार्य पं० केशव पांडेय है एवं संगीत में जनीराम यादव , पंकज कैवर्त्य , राजकुमार का सहयोग रहा। आज की कथा में क्षेत्रीय विधायक मोतीलाल देवाँगन विशेष रूप से उपस्थित थे।