महामना मालवीय ने राष्ट्र प्रथम के संकल्प को सर्वोपरि रखा – पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली – पंडित मदन मोहन मालवीय का जीवन आदर्शों से भरा हुआ था। उनके जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार जन्म लेते हैं तथा आने वाली कई सदियां उनसे प्रभावित होती हैं। उन्होंने लम्बे समय तक काशी की सेवा की और अब उन्हीं की तरह मुझे भी सौभाग्य से काशी की सेवा करने का मौका मिला है। यह देश राष्ट्र सेवा में अमूल्य योगदान देने वाली महान विभूतियों का ऋणी है।महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की जयंती के सुअवसर पर उनके सम्पूर्ण वाङ्गय का विमोचन करना मेरे लिये सौभाग्य की बात है। यह उनके विचारों , आदर्शों और जीवन से हमारी युवा पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को परिचित कराने का एक सशक्त माध्यम बनेगा।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में पंडित मदन मोहन मालवीय की 162वीं जयंती के अवसर पर उनकी संग्रहित कृतियों के 11 खंडों के पहले संस्करण पत्रिका का विमोचन करते हुये कही। उन्होंने आगे कहा कि भारत की कितनी ही पीढ़ियों पर महामना का ऋण है। वे शिक्षा और योग्यता में उस समय के बड़े से बड़े विद्वानों की बराबरी करते थे , वे आधुनिक सोच और सनातन संस्कारों का संगम थे। पीएम ने कहा कि पंडित मालवीय ने ‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को सर्वोपरि रखा और इसके लिये बड़ी से बड़ी ताकत से टकराये तथा मुश्किल से मुश्किल माहौल में भी देश के लिये संभावनाओं के नये बीज बोये। उन्होंने कहा कि यह उनकी ही सरकार का सौभाग्य है कि उन्हें ‘भारत रत्न’ दिया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके लिये पंडित मालवीय एक और वजह से बहुत खास हैं क्योंकि उनकी ही तरह उन्हें भी काशी की सेवा का मौका मिला। उन्होंने कहा मेरा ये भी सौभाग्य है कि वर्ष 2014 में चुनाव लड़ने के लिये जब मैंने नामांकन भरा , तो प्रस्तावकों में मालवीयजी के परिवार के सदस्य भी थे। आजादी के ‘अमृतकाल’ में गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने और अपनी विरासत पर गर्व करने के सरकार के अभियान का उल्लेख करते हुये पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के कार्यों में भी कहीं ना कहीं पंडित मालवीय के विचारों की महक महसूस होगी। इस मौके पर मौके पर उनके साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल , अनुराग ठाकुर समेत कई बीजेपी के दिग्गज नेता मौजूद रहे।इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला , रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अन्य भाजपा नेताओं ने प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व कांग्रेस नेता मदन मोहन मालवीय को उनकी 162वीं जयंती के अवसर पर संविधान सदन में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।इस समारोह में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में मालवीय की महत्वपूर्ण भूमिका का जश्न मनाया गया और देश की आजादी की लड़ाई में उनके योगदान पर प्रकाश डाला गया।आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अमृत काल में , देश के लिये बहुत बड़ा योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को उचित सम्मान देना प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण रहा है। पंडित मदन मोहन मालवीय की संग्रहित कृतियों का विमोचन इसी दिशा में एक प्रयास है। बयान में कहा गया है कि चार हजार पृष्ठों वाली 11 खंडीय द्विभाषी (अंग्रेजी और हिंदी) कृति देश के कोने-कोने से एकत्र किये गये मालवीय के लेखों और भाषणों का संग्रह है। इन खंडों में उनके अप्रकाशित पत्र , लेख और हिंदी साप्ताहिक ‘अभ्युदय’ की संपादकीय सामग्री आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा समय-समय पर उनके द्वारा लिखे गये लेख , पाम्पलेट और पुस्तिकायें , वर्ष 1903 और 1910 के बीच आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत की विधान परिषद में दिये गये सभी भाषण , रॉयल कमीशन के समक्ष दिये गये बयान , 1910 और 1920 के बीच इंपीरियल विधान परिषद में विधेयकों की प्रस्तुति के दौरान दिये गये भाषण , बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले और बाद में लिखे गये पत्र , लेख और भाषण और वर्ष 1923 और 1925 के बीच उनके द्वारा लिखी गई एक डायरी भी शामिल हैं। बताते चलें ‘कलेक्टेड वर्क्स ऑफ पंडित मदन मोहन मालवीय’ के 11 खंड हैं।महामना मालवीय द्वारा लिखित और बोले गये विभिन्न दस्तावेजों पर शोध एवं उनके संकलन का कार्य महामना मालवीय मिशन द्वारा किया गया , जो महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के आदर्शों और मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिये सर्मिपत एक संस्था है।प्रख्यात पत्रकार राम बहादुर राय के नेतृत्व में मिशन के तहत पंडित मदन मोहन मालवीय के मूल साहित्य पर काम किया है। इन पुस्तकों का प्रकाशन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन प्रकाशन विभाग द्वारा किया गया। उल्लेखनीय है कि आधुनिक भारत के निर्माताओं में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय का अग्रणी स्थान है। पंडित मदन मोहन मालवीय को एक उत्कृष्ट विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है , जिन्होंने लोगों के बीच राष्ट्रीय चेतना जगाने के लिये अथक मेहनत की थी।

Ravi sharma

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