मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री नाथ बने रहेंगे या होंगे अनाथ?फ्लोर टेस्ट आज-मध्यप्रदेश कि राजनीति मे अहम है आज का दिन, भोपाल-

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

भोपाल — मध्यप्रदेश की राजनीति में आज का दिन काफी अहम् होने वाला दिन रहेगा। राजनीतिक गलियारों में हो रहे उठापटक के बीच मध्यप्रदेश विधानसभा स्पीकर एन० पी० प्रजापति को सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आज शाम 05:00 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिये जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराना चाहते हैं। इस पर उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये स्पीकर की विधायकों से बात करने का सुझाव भी दिया। फ्लोर टेस्ट हाथों के प्रदर्शन से होगा। इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा पर्यवेक्षक बैठाने की भी बात कही। कोर्ट ने आदेश दिया है कि विधानसभा की कार्यवाही का एकमात्र एजेंडा बहुमत परीक्षण कराना ही हो , फ्लोर टेस्ट में किसी के लिये भी बाधा उत्पन्न नही की जानी चाहिये। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर बागी विधायक विधानसभा में आना चाहते हैं तो कर्नाटक और मध्यप्रदेश के DGP दोनों उन्हें सुरक्षा मुहैया करायें और फ्लोर टेस्ट की वीडियो रिकार्डिंग की जाये। इस आदेश के बाद से मध्यप्रदेश की सियासत में जोड़ तोड़ का गणित बैठाना शुरू हो गया है। ये आदेश एक ओर जहाँ कमलनाथ सरकार के लिये बहुत बड़ा झटका है। वहीं दूसरी ओर इसफैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “आंतक, दबाव, लोभ, प्रलोभन के प्रयास में कमलनाथ जी बुरी तरह विफल रहे , इसमें दिग्विजय सिंह भी लगे थे। इसलिये माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को शिरोधार्य करते हैं। हाथ उठाकर फ्लोर होगा और हमारा विश्वास है कि अल्पमत की सरकार जायेगी।” उन्होंन कहा कि इस सरकार ने ना सिर्फ अपना बहुमत खोया है इसने मध्यप्रदेश के साथ धोखा किया है। यह सरकार आज फ्लोर टेस्ट में गिर जायेगी।

मुख्यमंत्री दे सकते हैं इस्तीफा


मुख्यमंत्री कमलनाथ फ्लोर टेस्ट से पहले आज दोपहर 12:00 बजे प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। माना जा रहा है कि इस दौरान वे इस्तीफे का ऐलान भी कर सकते हैं।

भाजपा को मिल सकता है दाँव

विधानसभा की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो 230 सदस्यों मे से दो स्थान खाली हैं और छह विधायकों के इस्तीफे मंजूर किये जा चुके हैं। अब सदन में कांग्रेस के 108, बीजेपी के 107, बीएसपी के दो, एसपी का एक और निर्दलीय के चार विधायक हैं। कांग्रेस के कुल 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था जिसमें छह का इस्तीफा मंजूर हो चुका है। अगर 16 विधायकों का भी इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो कांग्रेस के पास 92 विधायक बचेंगे। अगर कांग्रेस को एसपी, बीएसपी और निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल भी रहता है तो विधायकों की संख्या 99 ही हो पाती है। राज्य की विधानसभा में 228 में से 22 विधायकों को कम किए जाने पर विधायकों की कुल संख्या 206 रह जायेगी और बहुमत के लिये 104 सदस्यों की जरूरत होगी। इस तरह भाजपा के पास बहुमत से तीन ज्यादा होंगे और कांग्रेस के पास बहुमत से पांँच कम। मौजूदा अंकगणित के हिसाब से मध्यप्रदेश में सरकार बना सकती है। आज के फ्लोर टेस्ट में मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के नाथ बने रहने में सफल होंगे या अनाथ हो जायेंगे ये तो आनेवाला समय ही बतायेगा ?

Ravi sharma

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