भूटान में एक सप्ताह का दुबारा लाकडाऊन जारी-भूटान

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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थिम्फू (भूटान) – दुनियाँ अभी कोरोना वैक्सीन बन जाने से राहत की सांँस ही ले रही थी कि यूके में तेजी से कोरोना के नये रूप के मामले सामने आने से सभी तरफ हाहाकार मच गया है। कई देशों ने विमान सेवा पर सशर्त रोक लगा रखी है। इसी मद्देनजर कोरोना वायरस के नये खतरे को देखते हुये भारत के पड़ोसी देश भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग ने देश भर में 23 दिसंबर मंगलवार से सात दिन के लिये दूसरे चरण के लॉकडाऊन की घोषणा कर दी है। जिसके तहत कल से सात दिनों के लिये भूटान में कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये गये हैं। इस दौरान इंटर-स्टेट आवागमन पूरी तरह से बंद रहेगा। इसके साथ ही कोविड-19 टास्कफोर्स समय-समय पर गाईडलाइन जारी करेगी। भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि लॉकडाऊन सरकार को बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने में सक्षम बनायेगा और समुदायों में संचरण की सीमा को भी कम करेगा। उन्होंने कहा है कि सिर्फ आपात और जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को ही लाकडाऊन में छूट मिलेगी।
गौरतलब है कि भूटान उन देशों में शुमार है जिसके यहांँ सबसे कम कोरोना के मामले सामने आये हैं। भूटान ने कोरोना महामारी से खुद को दूर रखा। जब दुनियाँ भर के देश कोरोना के दूसरे स्टेज तक पहुंँच चुके थे तब भूटान में पहली बार ग्यारह अगस्त से महज पाँच दिन का देशव्यापी लॉकडाऊन लागू हुआ था।इस दौरान देश में जरूरी परिसेवा को छोड़कर सब कुछ बंद रखा गया था। गौरतलब है कि भूटान में राजशाही व्यवस्था है, यहांँ सरकारी आदेश का लोग गंभीरता से पालन करते हैं। भूटान ने पहले लॉकडाऊन के दौरान करीब साढे सात लाख लोगों को घरों में ही रहने की सख्त हिदायत दी थी। तब भी भूटान में दफ्तर और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बंद किया गया था। भूटान भारत का अहम पड़ोसी देश है जिससे 699 किलोमीटर की सीमा लगती है। भारत के चार राज्य भूटान की सीमा से लगे हैं जिनमें आसाम , अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और सिक्किम शामिल है। भूटान के कड़े फैसले का भारत पर भी असर पड़ सकता है। अगर लॉकडाऊन से भारत का पड़ोसी देश सुरक्षित रह पाता है तो देश के लिये भी फायदे की बात है।

Ravi sharma

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