भारतीय मूल के डा० राहुल गुप्ता ने बढ़ाया भारत का मान

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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वाशिंगटन — भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर राहुल गुप्ता को अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रीय औषधि नियंत्रण नीति के निदेशक की ज़िम्मेदारी सौंपी है। डॉ. राहुल अब व्हाइट हाउस ऑफ़िस ऑफ़ नेशनल ड्रग कंट्रोल पॉलिसी के नेतृत्व करने वाले पहले डॉक्टर बन गये हैं। इस नियुक्ति पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये डा० गुप्ता ने कहा – “एक अभ्यास करने वाले चिकित्सक और पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में मैंने ग्रामीण समुदायों में काम किया है , मैंने पहली बार समाज में नशे की लत और दिल दहला देने वाले ओवरडोज़ के मामलों को देखा है , लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि हम आंकड़ों से अलग अगर लोगों को समझें और उनसे मिलें , तो हम जिंदगियां बचा सकते हैं।”.उन्होंने कहा कि वह समुदायों को स्वस्थ बनाने के लिये उच्च गुणवत्ता वाली रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिये लगन से काम करेंगे। वे मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी और अंतरिम मुख्य विज्ञान अधिकारी के अलावा मार्च ऑफ डाइम्स में वरिष्ठ उपाध्यक्ष को तौर पर भी काम कर चुके हैं , जो एक अमेरिकी गैर-लाभकारी संगठन है और माताओं व शिशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिये काम करता है। डॉ. राहुल जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन विभाग में क्लिनिकल प्रोफेसर रह चुके हैं। इसके साथ ही वेस्ट वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में स्वास्थ्य नीति , प्रबंधन और नेतृत्व विभाग में सहायक प्रोफेसर रह चुके हैं। उन्होंने हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में विज़िटिंग फैकल्टी के तौर पर भी काम किया है। बताते चलें कि डा० राहुल का जन्म भारत में हुआ था और वे वाशिंगटन डीसी में पले-बढ़े। इक्कीस साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से मेडिकल स्कूल की पढ़ाई की। उन्होंने अलबामा-बर्मिंघम यूनिवर्सिटी से पब्लिक हेल्थ में मास्टर डिग्री और लंदन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड फाइनेंस से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की ग्लोबल मास्टर डिग्री हासिल की है। डॉ० गुप्ता ने अमेरिका में दो हजार आबादी वाले समूहों के बीच निजी प्रैक्टिस के साथ अपना केरियर शुरू किया था। तब से उन्होंने वेस्ट वर्जीनिया के स्वास्थ्य आयुक्त के रूप में दो राज्यपालों के अधीन कार्य किया है। राज्य के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में उन्होंने ओपिओइड संकट प्रतिक्रिया प्रयासों का नेतृत्व किया और उच्च जोखिम वाले शिशुओं की पहचान करने के लिये नियोनेटल एबस्टिनेंस सिंड्रोम बर्थस्कोर कार्यक्रम सहित कई अग्रणी सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल शुरू करने का श्रेय उनके नाम है। वे अमेरिका में जीका कार्य योजना के विकास और इबोला वायरस रोग के प्रकोप से निपटने की तैयारियों का का भी नेतृत्व कर चुके हैं।

Ravi sharma

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