भक्त गजराज की पुकार पर कष्ट हरण को चल पड़े गोलोक सिंघासन छोड़ हरि’—युग बोध की काव्य रस में सराबोर हुए श्रोता

सोनपुर –‘भक्त गजराज की पुकार पर कष्ट हरण को चल पड़े गोलोक सिंघासन छोड़ हरि।विस्मित हुआ वाहन गरुड़ भी यह कैसी लीला करी प्रभू ‘-यहां हरिहर क्षेत्र सोनपुर के नारायणी नदी किनारे कष्टहरिया घाट स्थित कष्टहरिया आश्रम के प्रांगण में रविवार को साहित्यिक संस्था ‘युगबोध’ द्वारा आयोजित कष्टहरिया घाट की महत्ता विषयक संगोष्टी एवं कवि सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए संस्था के संचालक साहित्यकार अवध किशोर शर्मा ने उपरोक्त काव्य पाठ किया ।

इस मौके पर कष्टहरिया आश्रम एवं शिव परिवार मंदिर के महंत संत बाबा ब्रजकिशोर दास सहित आधा दर्जन व्यक्तियों को अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया।

संगोष्टी एवं कवि गोष्ठी कार्यक्रम की अध्यक्षता मंदिर के महंत संत बाबा ब्रज किशोर दास जी ने किया जबकि संचालन अवध किशोर शर्मा कर रहे थे।मंदिर के महंत ब्रज किशोर दास ने साहित्यकार सारंगधर सिंह,विश्वनाथ सिंह,धनंजय सिंह,शंकर सिंह एवं ऋषि को अंग वस्त्र से सम्मानित किया ।सर्वप्रथम विषय प्रवेश कराते हुए श्री शर्मा ने अपनी दो लघु कविताओं ‘यह कष्टहरिया की धरती समस्त दुख हरण करती यह पावन नारायणी जल धारा शोक क्षरण करती ‘के माध्यम से कष्टहरिया घाट और उससे जुड़े धार्मिक आख्यानों का चित्रण प्रस्तुत किया ।

आश्रम की और से आज के व्यवस्था प्रमुख समाजसेवी धनंजय सिंह ने कहा कि आश्रम के पूर्व महंत संत सुमेर दास का सपना था कि इस आश्रम का सर्वांगीण विकास हो-इस दिशा में सभी का सहयोग अपेक्षित है ।कृष्णा महतो ने अपने काव्य पाठ से कष्टहरिया घाट से जुड़े अपने बचपन के प्रसंग सुनाएं ।अधिवक्ता एवं कवि लक्ष्मण कुमार प्रसाद ने ‘कष्टहरिया घाट ‘शीर्षक से स्वलिखित काव्य पाठ किया।नरेशु सिंह ने आश्रम से सम्बंधित पुराने संस्मरणों की चर्चा की

सेवानिवृत बैंककर्मी व हरिहरक्षेत्र जागरण मंच के अनिल कुमार सिंह ने आश्रम से सम्बंधित अपने संस्मरण सुनाते हुए इसके विकास के लिए अपने सुझाव दिए ।ऋषि कुमार ने हरिहर क्षेत्र की इस देव स्थली की मर्यादा की रक्षा करने पर बल दिया ।युग बोध से जुड़े राजू सिंह मणिभूषण शांडिल्य, धर्मनाथ शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए ।अंत में धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र मानपुरी ने किया ।

Ravi sharma

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