बुराई पर अच्छाई का विजय है दशहरा — अरविन्द तिवारी की कलम✍ से

जाँजगीर चाँपा — दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख एवं राष्ट्रीय पर्व है जिसे आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमीं तिथि को देश भर में बड़े ही हर्षोल्लास एवं धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा दस दिन के युद्ध के बाद देवी दुर्गा ने महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है आज के दिन जगह-जगह मेला लगता है रामलीला का आयोजन होता है जिसमें भगवान राम की वीरगाथा दिखायी जाती है और रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। विजयादशमी के दिन लोग अस्त्र शस्त्रों का भी पूजन करते हैं। इस दिन अपराजिता देवी एवं शमी वृक्ष के पूजन का भी विशेष महत्व है।
विजयादशमी के दिन प्रदोषकाल में शमी वृक्ष के समीप जाकर उसे प्रणाम करें।

 पूजन के उपरांत हाथ जोड़कर निम्न प्रार्थना करें-

‘शमी शम्यते पापम् शमी शत्रुविनाशिनी।
अर्जुनस्य धनुर्धारी रामस्य प्रियदर्शिनी।।
करिष्यमाणयात्राया यथाकालम् सुखम् मया।
तत्रनिर्विघ्नकर्त्रीत्वं भव श्रीरामपूजिता।।’
रावण दहन के पश्चात घर आने पर सभी की आरती उतारकर स्वागत एवं भेंट किया जाता है। इसके साथ ही गाँव और पड़ोस में शमी पत्ता बांट कर बड़ों से हर कार्य में विजयश्री का आशीर्वाद भी लिया जाता है आज के दिन नया काम शुरू करने की भी मान्यता है कहते हैं कि आज के दिन शुरू किए गए किसी भी काम में विजय यानी सफलता निश्चित रूप से मिलती है।

आज नीलकंठ का दर्शन होता है शुभ

नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है। रावण पर विजय पाने की अभिलाषा में श्री राम ने पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किये थे इसलिये आज विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ जाता है। आज के दिन नीलकंठ के दर्शन और भगवान शिव से शुभफल की कामना करने से जीवन में भाग्योदय, धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। और इसी के साथ दीपावली की तैयारी भी शुरू हो जाती है।

Ravi sharma

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