पौराणिक परंपरानुसार खुले बद्रीनाथ धाम के कपाट

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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बद्रीनाथ धाम – विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिये आज सुबह सवा बजे विधि विधान से मंत्रोच्चार व सेना के बैंड की धुनों के साथ खोल दिये गये। अब अगले छह महीने तक श्रद्धालु मंदिर में भगवान बद्रीनाथ के दर्शन कर सकेंगे। कपाट खुलने के पावन अवसर का साक्षी बनने के लिये भारी संख्या में श्रद्धालु बद्रीनाथ पहुंचकर कतार पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। आज बद्रीनाथ धाम को फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया था , बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलते ही जय बद्रीनाथ के जयघोष से धाम गुंजायमान हो उठा और मंत्रोच्चारण से चारों तरफ का वातावरण भक्तिमय है। मंदिर के कपाट खुलने से पहले भगवान के खजाने की पूजा-अर्चना की गई। कपाट खुलने से पहले ही अखंड ज्योति के दर्शन के लिये हजारों यात्री धाम में पहुंचे थे। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के मुख्य अवसर पर श्री बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी श्री रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, नायब रावल श्री अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल, बद्री केदार मंदिर सामिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, पूर्व विधायक महेंद्र भट्ट, डीजीपी अशोक कुमार, सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कपाट खुलने की प्रक्रिया के तहत सुबह पांच बजे बद्रीनाथ के दक्षिण द्वार से भगवान कुबेर जी की डोली ने प्रवेश किया। फिर सवा पांच बजे विशिष्ट व्यक्तियों का गेट नंबर तीन से मंदिर में प्रवेश हुआ। साढ़े पांच बजे रावल , धर्माधिकारी व वेदपाठियों का उद्धव जी के साथ मंदिर में प्रवेश किया। सुबह छह बजे रावल और धर्माधिकारियों द्वारा द्वार पूजन किया गया फिर सुबह सवा छह बजे श्रद्धालुओं के लिये बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिये गये। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद बद्रीनाथ धाम में पहली पूजा और महाभिषेक पीएम नरेंद्र मोदी के नाम से किया गया। उनकी ओर से विश्व कल्याण और आरोग्यता की भावना से पूजा-अर्चना एवं महाभिषेक समर्पित किया गया। इस दौरान भगवान बद्रीविशाल को शीतकाल के दौरान ओढ़ाये गये घी से लेपित उनके कंबल का प्रसाद वितरित हुआ। इसके पश्चात सुबह साढ़े नौ बजे गर्भगृह में भगवान बद्रीनाथ की पूजा शुरू हुई।इससे पहले शनिवार को पांडुकेश्वर के योग ध्यान बद्री मंदिर से बद्रीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, नायब रावल शंकरन नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल और बदरीनाथ के वेदपाठी आचार्य ब्राह्मणों की अगुवाई में भगवान उद्धव जी की डोली, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी व तेल कलश यात्रा (गाडू घड़ा) दोपहर बाद बद्रीनाथ धाम पहुंची थी। बताते चलें वार्षिक चारधाम यात्रा तीन मई को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई। वहीं केदारनाथ मंदिर के कपाट शुक्रवार सुबह श्रद्धालुओं के लिये खोल दिये गये थे। इस वर्ष उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए यात्रियों की संख्या भी तय कर दी है। उलत्तराखंड सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि बद्रीनाथ धाम में प्रतिदिन पंद्रह हजार श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। वहीं केदारनाथ में बारह हजार श्रद्धालुओं का एक दिन में दर्शन करने की अनुमति होगी। इसी प्रकार गंगोत्री में रोजना सात हजार और यमुनोत्री में रोजाना चारं हजार श्रद्धालुओं को ही दर्शन करने की अनुमति होगी। बताते चलें उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए पर्यटन विभाग द्वारा संचालित पोर्टल https://registrationandtouristcare.uk.gov.in पर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुये उत्तराखंड सरकार ने यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था , खान-पान और पार्किंग की पूरी व्यवस्था की है। श्रद्धालुओं को आगमन से पहले राज्य के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने का भी निर्देश दिया गया है।

Ravi sharma

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