पुरीपीठ सहित देश भर में मनाया गया गुरुपूर्णिमा महापर्व-जगन्नाथपुरी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

जगन्नाथपुरी — पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज द्वारा सनातन संस्कृति संरक्षणार्थ एवं राष्ट्र रक्षा हेतु संस्थापित संगठन धर्मसंघ पीठ परिषद् , आदित्यवाहिनी — आनन्दवाहिनी द्वारा आज देश भर में गुरुपूर्णिमा महोत्सव श्रद्धा– भक्ति के साथ मनाया गया। सभी स्थानों पर कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुरक्षात्मक उपाय के साथ सभी शिष्यों एवं धर्मावलंबियों के द्वारा गुरुपूजा , रुद्राभिषेक , सुंदरकांड पाठ , आराधना पूजन एवं वृक्षारोपण , अस्पतालों में फल वितरण आदि प्रकल्प आयोजित किये गये।
गौरतलब है कि हम भारतवासियों को ही सनातन परंपरानुसार गुरु पूर्णिमा मनाने का सौभाग्य प्राप्त होता है । आदिशंकराचार्य महाभाग का प्राकट्य आज से लगभग 25 सौ वर्ष पूर्व हुआ था , उनके द्वारा ही सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिये ये देश में चार मान्य पीठ की स्थापना कर अपने शिष्यों को शंकराचार्य के पद पर प्रतिष्ठित किया। गोवर्धनमठ पुरी उसी मान्य परंपरा की एक पीठ है , जिसमें वर्तमान शंकराचार्य जी 145 वें क्रम पर हैं। श्रीगोवर्धन मठ पुरी आरंभ से ही आध्यात्मिक पीठ रही है। पुरी पीठ के 143 वें शंकराचार्य महाभाग स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी ने विश्व को वैदिक गणित का ज्ञान कराया जिस सिद्धांत का उपयोग कर कम्यूटर का आविष्कार हुआ। ठीक इसी प्रकार वर्तमान शंकराचार्य महाभाग ने 170 से अधिक ग्रंथों के माध्यम से वेदों में सन्निहित ज्ञान विज्ञान को विश्व के लिये सुलभ कराया है। पुरी शंकराचार्य महाभाग अपने संदेशों के माध्यम से समय समय पर वर्तमान में विकास की परिभाषा इसके क्रियान्वयन की विधा तथा महायंत्रो के प्रचुर प्रयोग के दुष्परिणाम से सचेत करते रहे हैं। वर्तमान विभिषिका भी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ , इसके प्रदूषित , विक्षुब्ध होने का ही परिणाम है। विश्व को वेद में निहित शास्त्रपरक राजनीति की परिभाषा , अर्थ की परिभाषा तथा शासनतंत्र की नीति का अनुसरण कर इसके क्रियान्वयन की स्वस्थ विधा को अपनाने की आवश्यकता है। इसका एकमात्र उपाय श्रीगोवर्धन मठ एवं वर्तमान शंकराचार्य जी के सानिध्य में ही संभव है । अतः भारत के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व को शंकराचार्य जी के मार्गदर्शन की आवश्यकता है तभी हम सम्पूर्ण मानव जगत को वर्तमान व भविष्य की विभीषिकाओं से बचा सकते हैं।

Ravi sharma

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