पटना-बिहार मे कोविड-19 के बढ़ते मामलो को देखते हुए लॉकडाउन लगाया गया है. कोरोना वायरस से उपज रहे त्रासदी का हवाला देते हुए सरकार ने ग्राम पंचायत चुनावों पर भी रोक लगा दी है साथ ही यह फरमान भी जारी हुआ है कि पंचायत जनप्रतिनिधियों को प्राप्त जिम्मेदारियों को जिला प्रशासन देखेगा. आम लोगों मे इस आदेश के बाद सरकार के प्रति कही समर्थन तो कही विरोध के स्वर फूट रहे है.इन्हीं सब बातों को लेकर पंच-सरपंच संघ के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अमोद कुमार निराला ने सरकार पर दोरंगी नीति अपनाने का आरोप लगाया है.श्री निराला ने कहा कि बिहार में ग्राम कचहरी सहित त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का चुनाव समय सीमा के अंदर नहीं कराया जाना शासन-प्रशासन एवं राज्य निर्वाचन आयोग की नाकामी तथा भारतीय संविधान कि अनुच्छेद 40 और 73वें संशोधन का अपमान है.यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के सपनों को नेस्तनाबूद करने की गहरी साजिश प्रतीत हो रही है.उन्होंने कहा कि पंचायती राज मंत्री के वक्तव्यों से यह प्रतीत होता है कि यह सूबे के त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि सहित 38 जिला परिषद अध्यक्ष,उपाध्यक्ष, सदस्य,प्रमुख,उपप्रमुख,समिति सदस्य,मुखिया,उप मुखिया,वार्ड सदस्य सहित ग्राम कचहरी निर्वाचित न्यायकर्ता जनप्रतिनिधि सरपंच, उपसरपंच एवं पंच परमेश्वर जिनकी संख्या लगभग २ लाख ५० हजार है.इनके अधिकार और कर्तव्यों को समाप्त करने की यह सोची समझी साजिश है. पंचायत चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा बिहार सरकार के शासन प्रशासन के सहयोग से प्रत्येक पांच वर्ष पर कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व कराए जाने की परिपाटी रही है एवं यह पंचायती राज अधिनियम 2006 कि नियमावली भी है.इसी नियमावली के तहत बहुत सारे अधिकार पंचायतों को दी गई है पर राज्य सरकार यह अधिकार अब तक स्वतंत्र रूप से पंचायत एवं ग्राम कचहरी प्रतिनिधियों को पिछले 20 वर्षों में नहीं दी है और इस पर राज्य के आला अधिकारी और राजनेता कुंडली मार कर बैठे हैं और तरह-तरह के आदेश-निर्देश जारी करते रहते हैं.इनके द्वारा कभी मतपत्र तो कभी ईवीएम का रोना तो कभी कोविड-19 का वास्ता देकर पंचायत चुनाव को टाला जा रहा है जबकि बिहार सहित अन्य राज्यों में विधानसभा और कई राज्यों मे पंचायत चुनाव अभी-अभी संपन्न कराया गया है.इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से आम-जनता तड़प कर मरती रही और लाश पर राजनेताओं की रैली, जनसभा,सघन जनसंपर्क,भीड़ जुटाकर रोड शो,लोकलुभावन भाषण, भीड़ जुटा कर शक्ति प्रदर्शन सभी दल,पार्टी करती नजर आई जो सर्व विदित है और पुरे देश की आम आवाम ने देखा है.अब बिहार के पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल समाप्ति की बारी आई तो पुनः इवीएम और कोरोना का रोना शुरू हो गया.उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं, हम इस प्राकृतिक आपदा मे सरकार के गाइडलाइन का शत-प्रतिशत अनुपालन व सम्मान करते हैं अगर वास्तव में जन रक्षार्थ सरकार ने पंचायत चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया है तो यह हम प्रतिनिधियों को स्वीकार है पर यह कहां का न्याय है कि गलती करे कोई और सजा भूगते राज्य कि ग्रामीण क्षेत्रों की 75% आबादी तथा ढाई लाख निर्वाचित जनप्रतिनिधि ?.क्या पंचायत चुनाव आमजन या पंचायत प्रतिनिधियों ने रोका है ?.नहीं. तब यह बात कहां से आ रही है कि पंचायती राज कानून में संशोधन कर बीडीओ तथा जिला प्रशासन को पंचायतों की व्यवस्था देखने के अधिकार देने की तैयारी सरकार किस आधार पर कर रही है.सरकार को इसका स्पष्ट जवाब देंना चाहिए.
उक्त बातें कहते हुए पंच सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमोद कुमार निराला ने आगे कहा कि पंचायत चुनाव सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग जब कराना चाहती हो तब कराएं हम त्रिस्तरीय एवं ग्राम कचहरी प्रतिनिधि इसके लिए तैयार हैं लेकिन जब तक चुनाव नहीं होता है तब तक के लिए संघ महामहिम राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री महोदय से यह मांग करती है कि पंचायती राज संस्थाओं के कार्यकाल का विस्तार हो. लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत सम्मानित संविधान,ग्रामीण जनता जनार्दन,ग्राम सभा तथा पंचायत प्रतिनिधियों के मान,सम्मान कि रक्षा, सुरक्षा की जाए. यह लोकतांत्रिक देश भारत का बिहार है राजतंत्र और अफसरशाही का नहीं. हर एक परिस्थिति में त्रिस्तरीय पंचायत एवं ग्राम कचहरी प्रतिनिधियों के कार्यकाल का विस्तार किया जाना चाहिए अन्यथा ढाई लाख जनप्रतिनिधि एवं ग्रामीण जनता एकजुट होकर अफसरशाही और राजनेताओं का पंचायत, प्रखंड, जिला व राज्य स्तर पर पुरजोर विरोध करने को बाध्य होंगे जिसकी सारी जवाबदेही शासन प्रशासन की होगी.इस महामारी मे हमारे जनप्रतिनिधि अपने आप को सुरक्षित रखते हुए जन-जन को सुरक्षित रखने का जद्दोजहद कर रहे हैं वहीं सरकार मैं बैठे पिछली गली से आने वाले राजनेता लोकतांत्रिक व्यवस्था को ध्वस्त करने का प्रयास कर रहे हैं मगर राज्य की जनता यह बर्दाश्त नहीं करेगी.