न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने की अपेक्षा — महामहिम राष्ट्रपति

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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प्रयागराज – राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में विश्व की श्रेष्ठतम शिक्षा प्रणाली को अमल में लाया जाये , ताकि आने वाली पीढ़ी को गुणवत्ता युक्त कानून की शिक्षा मिल सके और वह न्याय के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित कर सके। सामान्य रूप से महिलाओं में न्याय प्रकृति का अंश अधिकतम होता है और कुछ अपवादों को छोड़ दें तो उनमें हर किसी को न्याय देने की प्रवृत्ति, मानसिकता एवं संस्कार मौजूद होते हैं। उच्चतम न्यायालय में 33 में चार महिलायें जो सबसे अधिक हैं। महिलाओं में न्याय प्रदान करने का प्राकृतिक गुण होता है। उनमें सबको न्याय देने की क्षमता होती है। कामकाजी महिलायें सबके बीच संतुलन बनाते हुये अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता के उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। न्यायपूर्ण समाज की स्थापना तभी संभव होगी जब महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। आज न्याय पालिका के क्षेत्र में महिला जजों की संख्या 12 प्रतिशत से भी कम है। महिलाओं की संख्या को बढ़ाना होगा। इस हाईकोर्ट में महिलाओं की संख्या अधिवक्ता , अधिकारी और न्यायाधीश के रूप में बढ़ेगी ऐसी अपेक्षा है।
उक्त बातें महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उत्तरप्रदेश राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय , मल्टीलेवल पार्किंग और एडवोकेट चैम्बर का शिलान्यास करते हुये कही। उन्होंने कहा कि सामान्यतः लोग न्यायपालिका से मदद लेने से हिचकिचाते हैं , सभी को न्याय मिले , सभी को समझ में आने वाली भाषा में निर्णय हो। नारी सशक्तीकरण की दिशा में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मिशाल कायम की है। यहीं से देश को पहली महिला अधिवक्ता करनिलिया सोरोबजी मिलने का गौरव भी प्राप्त हुआ था। इलाहाबाद हाईकर्ट में पहली बार वर्ष 1921 में महिला जज की नियुक्ति की गई थी। महिलाओं और दबे कुचले लोगों को न्याय मिले , सभी नागरिकों का मूलभूत अधिकार है कि न्याय उनकी पकड़ में हो। जनसाधारण में न्यायपालिका के प्रति उत्साह बढ़ाना चाहिये , लंबित मामलों का निस्तारण किया। जजों की संख्या बढ़ायी जाये पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराये जायें। राज्य सरकार के सहयोग से हाईकोर्ट आगे बढ़ेगा।महामहिम ने शिकागो में स्वामी विवेकानंद के संबोधन का भी जिक्र करते हुये कहा कि अगर उनके संबोधन के मर्म को दुनियां ने स्वीकार कर लिया होता तो शायद अमेरिका में 9/11 नही होता। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में मदनमोहन मालवीय , मोतीलाल नेहरू , तेज बहादुर सप्रू व कैलाश नाथ काटजू जैसे अधिवक्ताओं का भी उल्लेख किया।महामहिम राष्ट्रपति ने आगे कहा कि उत्तरप्रदेश नेशनल ला यूनिवर्सिटी विश्वस्तरीय विधि शिक्षा का केन्द्र बनेगा , यहां से निकले विद्यार्थी न्यायपूर्ण सामाजिक , आर्थिक विकास के वाहक बनेंगे। इस अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश सीजेआई ने न्यायालयों में लंबित मुकदमों की लगातार बढ़ रही संख्या पर चिंता जताते हुये मुकदमों के त्वरित निस्तारण पर जोर दिया। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का भी जिक्र किया। उन्होंने 1975 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जस्टिस जे० लाल सिंह के द्वारा अयोग्य घोषित करने वाले फैसले का जिक्र करते हुये इसे ऐतिहासिक निर्णय बताया।

राजनैतिक हस्तक्षेप नही होगा -सीएम योगी
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प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबोधित करते हुये कहा कि गंगा -यमुना व सरस्वती “त्रिवेणी” की इस भूमि पर उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से माननीय राष्ट्रपति का हृदय से स्वागत करता हूं। आज का दिन ना केवल प्रयागराज की धरती के लिये बल्कि समस्त प्रदेशवासियों के लिये महत्वपूर्ण है। वर्षों से लंबित उन परियोजनाओं का शुभारंभ माननीय राष्ट्रपति के करकमलों से संपन्न हो रहा है , जिसकी आकांक्षा दशकों से पूरे प्रदेश को थी। प्रयागराज का उच्च न्यायालय एशिया का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है। न्यायालय में मल्टीलेवल पार्किंग जो बन रहा है ये केवल मल्टीलेवल पार्किंग नहीं बल्कि इसमें 4000 वाहनों की सुविधा के साथ-साथ 2,500 अधिवक्ताओं के लिये चैंबर की सुविधा होगी। उन्होंने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिलान्यास को ऐतिहासिक बताते हुये कहा कि विधि के क्षेत्र में यह विश्वविद्यालय विश्व में कीर्तिमान स्थापित करेगा। प्रयागराज में स्थापित राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में किसी प्रकार का राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं होगा। इसे न्यायविदों द्वारा संचालित किया जायेगा , सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इसके विजिटर होंगे।

मील का पत्‍थर बनेगा विधि विश्वविद्यालय — राज्‍यपाल
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इस अवसर पर उत्तरप्रदेश के राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कुंभ नगरी की ऐतिहासिक पौराणिक पृष्ठभूमि बताते हुये उम्मीद जतायी कि विधि विश्वविद्यालय मील का पत्थर साबित होगा। कानूनी शिक्षा की गुणवत्ता के लिये इसे जरूरी बताते हुये उम्मीद जतायी कि यहां से शिक्षित युवा न्याय दिलाने में सक्षम होंगे। इसके पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी ने राष्ट्रपति सहित अन्य अतिथियों का स्वागत किया। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, भारत के प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कानून मंत्री किरण रीजीजू, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों न्यायमूर्ति विनीत शरण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी, जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल उपस्थित थे।

गौरतलब है कि महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज पूर्वाह्न ग्यारह बजे हवाई मार्ग से प्रयागराज स्थित पोलो ग्राउंड पर पहुंचे। इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल , सीएम योगी आदित्यनाथ , डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने उनका स्वागत किया। महामहिम ने संगम नगरी को 640 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी। इसके अलावा उन्होंने इलाहा उच्च न्यायालय के प्रख्यात अधिवक्ता आनंद भूषण शरण के तैल चित्र का भी अनावरण किया। सभी कार्यक्रमों की समाप्ति पश्चात महामहिम दिल्ली के लिये रवाना हो गये। प्रयागराज में राष्ट्रपति कोविंद के दौरे के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर जबरदस्त तैयारियां की थीं। सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर शहर में चप्पे-चप्पे पर नाकेबंदी के साथ अफसरों और पुलिसकर्मियों को मिलाकर चार हजार जवान तैनात किये गये थे। प्रोलोग्राउंड व हाईकोर्ट परिसर को सुरक्षा एजेंसियों ने अपने कब्जे में ले लिया था। हाईकोर्ट , सर्किट हाऊस , बम्हरौली , पोलोग्राउंड और उसके आसपास पतंगों और ड्रोन के उड़ाने पर पाबंदी लगा दी गयी थी। इसके उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये थे। राष्ट्रपति के नगर आगमन पर उनकी सेहत की देखभाल और इमरजेंसी में चिकित्सा के लिये व्यवस्थायें की गयी थीं , एमएलएन मेडिकल कॉलेज के एसआरएन अस्पताल के सभी दस प्राइवेट रूम आरक्षित किये गये थे।

Ravi sharma

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