नेत्रहीनता की रोकथाम हेतु लुई ब्रेल दिवस के उपलक्ष्य में राज्य स्तरीय कार्यशाला (अर्ली इंटरवेशन)आयोजित-

नेत्रहीनता की रोकथाम हेतु लुई ब्रेल दिवस के उपलक्ष्य में राज्य स्तरीय कार्यशाला (अर्ली इंटरवेशन)आयोजित

पटना-आज राज्य आयुक्त निशक्ततता(दिव्यांगजन) कार्यालय, बिहार की ओर से लुई ब्रेल दिवस पर नेत्रहीन संबंधित दिव्यांगता की रोकथाम हेतु राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन समाज कल्याण विभाग के सचिवालय स्थित सभागार में किया गया ।कार्यशाला का उदेश्य यह था कि शुरुआत में ही नेत्र रोग और इससे जुड़े दिव्यांगता से बचाव के लिए चिकित्सकों की पहल हो तथा विभिन्न दिव्यांगता विशेषज्ञ भी पुनर्वास पर कैसे काम करें तथा नये आयाम से परिचित हो।आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ॰ विजय प्रकाश,अध्यक्ष बिहार विधापीठ व पूर्व प्रधान सचिव,समाज कल्याण विभाग द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया ।समारोह के तकनीकी सत्र में डॉ॰ शिवाजी कुमार द्वारा राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगता की रोकथाम हेतु चलाये जा रहे विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गयी।उन्होने बताया की लुई ब्रेल की आँखों में रोशनी नही होने के बावजुद भी दुनिया को एक ऐसी लिपि प्रदान की जिससे नेत्रहीन लोग पढ-लिख अपने जीवन को सफल बनाने का का कार्य कर रहें।चिकित्सक जो धरती के दुसरे भगवान हैं वह अपने शिक्षा व कौशल से नेत्रहीनता की रोकथाम की पहल अवश्य करें ।इस विषय पर नये विचारो व रोड मैप यथाशीघ्र देने की अपील भी उन्होंने किया ताकी राज्य सरकार नेत्रहीनता की रोकथाम हेतु अर्ली इंटरवेंशन लागू करा सके।


कार्यक्रम में डॉ॰ मनोज कुमार, नैदानिक मनोवैज्ञानिक द्वारा बताया गया की किसी भी दिव्यांगता से ग्रसित व्यक्ति के क्षमताओं का मूल्यांकन होना चाहिए ।किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से तौलना कत ई उचित नहीं। कोशिश यह होनी चाहिए की किसी भी तरह की दिव्यांगता को ज्यादा से ज्यादा रोकथाम हेतु पहल करनी चाहिए।माता-पिता द्वारा अपने दिव्यांग बच्चे और उनके दुसरे समान्य बच्चे में फर्क करने से बचना चाहिए ।


इस अवसर पर डॉ॰ राजीव गंगौल,अध्यक्ष, पाटलिपुत्र पैरेट्स एसोसिएशन (एम.आर)द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किया गया।कार्यक्रम में बिहार के सभी 38 जिलों के सरकारी नेत्र रोग विशेषज्ञों के आलावा 100 से अधिक अन्य प्रोफेशनल्स ने शिरकत किया।

Ravi sharma

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