नारी की करूण कहानी, शिखा चैतन्य द्विवेदी-

शिखा चैतन्य द्विवेदी

लो आज सुनाती हूँ तुमको , नारी की करुण कहानी है।
जननी सुत को जनने वाली की आंखो में क्यों पानी है ?
पहले तो चीर हरण होते , अब बलात्कार भी होते हैं।
हाय ! पतित नारी के साथ , क्यों अनाचार ये होते है ?
गांँव गांँव और शहर शहर नारी सदमे में जीती है।
किससे कहे , कैसे कहे वो , अपने पर जो बीती है ।।
नारी पर जुर्म ढाने की , प्रथा बड़ी पुरानी है।
लो आज सुनाती हूँ तुमको , नारी की करूण कहानी है।।
दहेज लोभ में नारी को आग की भेंट चढ़ाते हैं।
ये वही लोग हैं जो , खुद को देवी का भक्त कहाते है ।।
घर की लक्ष्मी का मोल नहीं, लक्ष्मी की आस लगाते है।
घर की पत्नी पर हाथ उठा , देवी दर्शन को जाते है ।।
ऐसे ढोंगी की पूजा देवी मांँ ने भी ना मानी है ।
लो आज सुनाती हूँ तुमको , नारी की करूण कहानी है।।
अपने घर की मांँ बेटी , परदे में अच्छी लगती है।
पर ना जाने कितनों बहनों की लाश , बिना कपड़ों के मिलती है ।।
बड़े हाथ वाला कानून , भी अपाहिज लगता है।
जब कहारती चीखें सुनकर भी , शासन ना नींद से जगता है ।।
ना जाने कब तक शासन और सत्ता ने , मूक होने की ठानी है ।
लो आज सुनाती हूँ तुमको , नारी की करूण कहानी है।।

Ravi sharma

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