नकली संत राष्ट्र के लिये घातक : पुरी शंकराचार्य

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
➖➖➖➖➖➖➖➖
जगन्नाथपुरी — ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज राजनीतिक दल द्वारा स्थापित संतों के संबंध में कहते हैं कि मीडिया तंत्र , व्यापार और राजतन्त्र इनके द्वारा जो उठाये जाते है , इसके द्वारा ही गिरा भी दिये जाते है। यह सब काण्ड चन्द्रास्वामी से प्रारंभ हुआ , नरसिम्हाराव ने उन्हें उठाया था , दलाल बनाया था तो जो राजनेता , मीडिया और व्यापारियों द्वारा बाबा , कथावाचक बनाये जाते है उन्हीं के द्वारा गिरा भी दिये जाते है। गिराये कब जाते है जब इनसे सौदा नहीं पटता तब , अगर सौदा अंतिम साँस तक पट जाय तो कितने ही व्यभिचारी हो , दुराचारी हो जेल के शिकंजे में नहीं , स्वर्ग में रहते हैं भारत में। आंध्र में एक साईबाबा थे , उनके दर्शन को बड़े नेता पहुंचते थे , वे जेल शिकंजे में गये क्या ? लेकिन उनके कमरे में ऐशोआराम की कितनी चीजें थी , और जीवनकाल में क्या क्या होता था , सब छपता था , मैं तो नहीं जानता। इसका मतलब अंतिम समय तक उन्होंने इन तीनो
तंत्रों के साथ सामंजस्य साध के रखा , अब कोई कितना ही बुरा हो , शासनतंत्र , व्यापारतंत्र और मीडियातंत्र को कुछ भी लेना देना नहीं। अगर आप तीनों में से किसी से भी सामंजस्य साधने में चूक गये तो जेल आपके लिये तैयार है। अब आगे देखिये काॅंची वाले महाराज को अंत में न्यायालय ने निरपराध सिद्ध कर दिया , लेकिन क्या दुर्दशा कर दी। न्यायालय ने तो निरपराध सिद्ध किया लेकिन उनके ऊपर डाका डालने का , व्यभिचार का , मरवाने का सारा अभियोग लगा दिया गया , क्यों लगवा दिया ? तीनों तंत्रों में से किसी तंत्र से सामंजस्य बैठाने में चुक गये तो जेल जाने के लिये तैयार रहो। स्वतंत्रता के पहले ऐसे बाबा कहाँ होते थे , तब परंपरा से बाबा वेश धारण करते थे।
रावण के द्वारा बनाया हुआ कथावाचक कालनेमि था और इतना विमोहक था कि हनुमान जी भी थोड़ी देर के लिये चपेट में आ गये और भविष्यवाणी करने लगा कि रामजी विजयी होंगे। रावण ने भी एक ही बनाया , दस बीस नहीं बनाये l अपना काम साधने के लिये एक ही कथावाचक बनाया , अब तो पचास बनाये जाते हैं। यह भाजपाई संत कथावाचक , यह कांग्रेसी संत कथावाचक , यह सपाई संत , यह बसपाई संत , मुलायमसिंह ने तो चार चार शंकराचार्य बना दिये , तीन तीन शादियाँ करने वाले को चार पीठ का शंकराचार्य बनाकर घुमाना प्रारंभ कर दिया। आज हम यह कह दें कि यह प्रधानमंत्री है तो कहा जायेगा इनका दिमाग कैसा ? लेकिन यह राजनेता चार चार पीठ के शंकराचार्य बना देते हैं , भाजपा के शंकराचार्य , विश्व हिन्दू परिषद् के शंकराचार्य , इसका मतलब यह विदेशी षड्यंत्र है। अगर चर्चकाण्ड खुलकर कह दिया जाये तो विश्व में कोई चर्च की ओर ऑंख उठाकर देखेगा। चर्च में जो कुछ काण्ड होता है अगर वह मीडिया का विषय बना दिया जाये तो कोई ऑंख उठाकर देखेगा चर्च की ओर। अपने तंत्र को बहुत बुरा होने पर भी बहुत सम्हालकर रखते है और हमारे तंत्र को विकृत करने का पूरा प्रयास करते है। आपके प्रश्न का उत्तर यही है कि धर्म और ईश्वर के बल पर जो बाबा बनते हैं है उनको नीचा दिखाने में कोई समर्थ नहीं है और राजनीति , मीडिया और व्यापारतंत्र के द्वारा जो बाबा संत बनते हैं, वह कभी भी चारों खाने चित हो जाते हैं l

Ravi sharma

Learn More →