नकली और फर्जी शंकराचार्य पर कार्यवाही के संबंध में सभी राजनैतिक दल मौन –पुरी शंकराचार्य

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

जगन्नाथपुरी– अनंत श्री विभूषित ऋग्वैदिय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने कहा कि मत , पंथ , संप्रदाय , राजनैतिक दलों में विभक्त हिंदु अपने अस्तित्व और आदर्शों की रक्षा करने में सर्वथा असमर्थ हैं । हिंदु अब सनातन धर्मी होने से पहले किसी राजनैतिक दल का है । कांग्रेसी हिंदू भाजपा की प्रशंसा तथा उत्कर्ष सहन नहीं कर सकते , भाजपाई हिंदू कांग्रेस की प्रशंसा और उत्कर्ष सहन नहीं कर सकते हैं और हिंदूओं की यही दुर्दशा सभी पार्टियों में है। आज राजनैतिक दल दिशाहीन हैं , इनसे रामराज्य की अपेक्षा तक करना असंभव है । राजधर्म में धर्म की उपेक्षा कर दिशाहीन नीति को ही प्राथमिकता देने से धर्मविहीन नीति के कारण आज सर्वत्र हिंसा , भोग , व्यसन , चरित्रहीनता – व्यभिचार , उत्पात , निरंकुशता का बोलबाला होता जा रहा है । उपभोक्तावाद की मंडी में सारी नैतिकता , चरित्र , आदर्शों , स्वदेशी और संस्कृति को बाजार का सौदा बनाकर रख दिया । राजनैतिक दलों में बंट चुका हिंदु अब राजनैतिक दलों के पक्ष और विपक्ष के खेल में उलझ कर रह गया है । पक्ष का विरोध करना ही विपक्ष कि रणनीति है ऐसे में सनातन धर्म हित में कोई निर्णय अथवा नीति निर्धारण पक्ष और विपक्ष के राजनैतिक फंदो में उलझ कर रह जाता है , ऐसे में हिंदु केवल बंटता जा रहा है। अब तो पार्टीयों ने भी अपने-अपने भगवा वस्त्रधारी स्वयंभू साधु प्रायोजित कर दिये हैं जिनका की कोई परंपरा से आधार नहीं है और जो केवल किसी राजनैतिक दल को लाभान्वित करने के लिये हिंदुओं की आंखों में धूल झोंक रहे हैं । परंपरा से हिंदुओं के सर्वभौम धर्मगुरु शंकराचार्य के पद और उनके अस्तित्व को ही विलुप्त करने का प्रयास राजनैतिक दलों का है। सनातन धर्मियों को मूल सनातन धर्म के प्रति परंपरा से आस्थान्वित रखने और उनके मार्गदर्शन का दायित्व उनके सार्वभौम धर्मगुरु शंकराचार्य का है। अत: हिन्दुओं के सार्वभौम धर्मगुरु जगदगुरु शंकराचार्य प्रत्येक राजनैतिक दल को चुनौती लगते हैं और इसिलिये छल , बल , डंके की चोट से नकली और फर्जी शंकराचार्य बना के घुमाना और बनाना इस बात को सिद्ध करता है कि हिंदुओं को जागरुक बनाने वाले सनातन धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु शंकराचार्य भी स्वतंत्र भारत में राजनैतिक दलों को मान्य नहीं है । अन्यथा किसी भी राजनैतिक दलों ने आज तक किसी भी नकली और फर्जी शंकराचार्य पर कार्यवाही क्यों नहीं की ? हिंदु बंँटा रहे , अनुगत रहे , दिशाहीन हो , अपने अस्तित्व और आदर्शों से भटका रहे तथा अपने आदर्शों के विपरीत और विरुद्ध लिये जा रहे निर्णयों पर मौन रहे और अपने धर्म से विपरीत आचरण करे यही शासनतंत्र की हिंदुओं से अपेक्षा है । राजनैतिक दलों द्वारा हिंदुओं के हित की बात भी की जाती है तो मात्र सत्ता प्राप्ति के लिये ही की जाती है । गाय , गंगा , राममंदिर के नाम पर चलाये जा रहे प्रकल्पों से ना गौवंश कटने से बचाया जा पा रहा है , ना गंगा के अस्तित्व को बचाने के प्रयास सार्थक हो रहे हैं और ना ही गंगा प्रदूषण मुक्त हो रही है और राममंदिर के नाम पर केवल राजनीति होती है । पक्ष और विपक्ष दोनों के द्वारा हिंदू छला जाता रहा है । ऐसी स्थिती में व्यासपीठ में जगद्गुरु परंपरा में आस्थान्वित सनातन धर्मी ही आज भी सनातन धर्म के सच्चे उत्तराधिकारी हैं ।

Ravi sharma

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