जलियांवाला बाग नरसंहार की 102 वीं बरसी-नईदिल्ली

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जलियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों को नमन करते हुये कहा कि उनका साहस , वीरता और बलिदान हर भारतीय को शक्ति प्रदान करता है। उल्लेखनीय है कि जलियांवाला बाग नरसंहार की आज 102वीं बरसी है। आज ही के दिन 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश हथियारबंद पुलिस वालों ने महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों निहत्थे , निर्दोष भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां वर्षा कर मौत के घाट उतार दिया था। इस जघन्य नरसंहार में असंख्य महिलायें और बच्चे भी मारे गये थे। उनका दोष केवल इतना था कि वह ब्रिटिश सरकार के दमनकारी रौलट अधिनियम के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से एक सभा कर रहे थे।

नरसंहार के रूप में दर्ज है ये घटना
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पंजाब के अमृतसर जिले में ऐतिहासिक स्वर्ण मंदिर के नजदीक जलियांवाला बाग नाम के इस बगीचे में अंग्रेजों की गोलीबारी से घबराई बहुत सी औरतें अपने बच्चों को लेकर जान बचाने के लिए कुएं में कूद गईं। निकास का रास्ता संकरा होने के कारण बहुत से लोग भगदड़ में कुचले गए और हजारों लोग गोलियों की चपेट में आए। इतिहास के पन्नों में यह घटना जलियांवाला बाग नरसंहार के रूप में दर्ज है।

Ravi sharma

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