जलवायु परिवर्तन का खतरा अभी भी चुनौती — पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — अभी मानवता वैश्विक महामारी से जूझ रही है और यह घटना समय पर याद दिलाने वाली है कि जलवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है। यह दुनियां भर के लाखों लोगों के लिये एक जीवंत वास्तविकता है। महामारी ने लोगो के जीवन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये तेज गति से और बड़े पैमाने पर ठोस कार्यवाही की आवश्यकता है। हमारी सरकार इसके लिये बखूबी अपना काम कर रही है।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की ओर से आयोजित डिजिटल जलवायु शिखर सम्मेलन में कही। सम्मेलन को संबोधित करते हुये पीएम मोदी ने कहा, ”राष्ट्रपति बिडेन और मैं भारत-अमेरिका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी की शुरुआत कर रहे हैं। हम जलवायु परिवर्तन पर निवेशों को जुटाने , स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने और हरित सहयोग को सक्षम करने में मदद करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि एक जलवायु जिम्मेदार विकासशील देश के रूप में , भारत देश में सतत विकास के खाके बनाने के लिये भागीदारों का स्वागत करता है। इससे अन्य विकासशील देशों को भी मदद मिल सकती है, जिन्हें ग्रीन फाइनेंस और क्लीन टेक की सस्ती पहुंच की आवश्यकता है। पीएम मोदी ने इस शिखर सम्मेलन के लिये अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन को धन्यवाद भी किया।
गौरतलब है कि 22-23 अप्रैल को वर्चुअल जलवायु शिखर सम्‍मेलन आयोजित है जिसमें 40 देशों के नेता शामिल हो रहे हैं। ये नेता जलवायु परिवर्तन, जलवायु कार्रवाई को मजबूत बनाने, जलवायु समाधान की ओर वित्त पोषण बढ़ाने, प्रकृति आधारित समाधान, जलवायु सुरक्षा के साथ स्वच्छ ऊर्जा के लिये प्रौद्योगिकी नवाचार जैसे विषयों पर विचारों का आदान प्रदान करेंगे। इस बैठक में अमेरिका के घोर विरोधी चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनफ‍िंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का नाम भी शामिल है। इनके अलावा दक्षिण एशिया से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग को भी सम्मेलन में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया है। इसमें जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रो और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन समेत कई यूरोपीय नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है। इस बैठक में सऊदी के किंग सलमान बिन अब्‍दुलाजीज, ब्राजील के राष्‍ट्रपति जायर बोलसोनारो और तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप ताइप इर्डोगन के अलावा बड़ी संख्‍या में व्‍यापारिक और नागरिक समाज के नेता भी हिस्‍सा लेंगे। वहीं इस बैठक में पाकिस्तान को आमंत्रित नही किया गया है। यह बैठक जलवायु परिवर्तन के लिहाज से काफी उपयोगी साबित हो सकती है। इस बैठक में कई बड़े निर्णय लिये जा सकते हैं। इस समारोह के जरिये अमेरिका जीवाश्‍म ईंधन से होने वाले जलवायु प्रदूषण को कम करने के लिये अहम कदम उठा सकता है। इसमें क्‍लाइमेट चेंज से होने वाले प्रभावों से जीवन और आजीविका की रक्षा करने की क्षमता को मजबूत करने के अवसरों पर चर्चा होगी। इसके अतिरिक्‍त क्‍लाइमेट चेंच से उत्‍पन्‍न वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों और उसके प्रभाव पर चर्चा की जायेगी। इस बैठक के पूर्व चीन और अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन पर हाथ मिलाया है। चीन ने कहा है कि दोनों देश जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु आपस में मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस बाबत हाल में चीन के जलवायु शी झेनहुआ ​​और उनके अमेरिकी समकक्ष जॉन केरी के बीच शंघाई में कई बैठकें हुई थीं। इस बैठक के बाद दोनों देशों ने उत्‍सर्जन कम करने के लिये भविष्‍य में उठाये जाने वाले विशेष कदमों पर अपनी सहमति जतायी है। जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका की मेजबानी में होने जा रही शिखर वार्ता में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी भाग लेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बताया कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग शिखर वार्ता में शामिल होने के साथ ही महत्वपूर्ण भाषण भी देंगे। बता दें कि अमेरिका और चीन दोनों ही देश विश्व में सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं। कई वर्षो के बाद दोनों देश जलवायु परिवर्तन पर एक साथ आ रहे हैं।

Ravi sharma

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