गोबर की कीमत डेढ़ रूपये किलो हुआ तय-रायपुर

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर — छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गोबर खरीदने वाली ‘गोधन न्याय योजना’ की शुरुआत हरेली त्यौहार से होगी। इसके लिये सरकार ने आज मंत्रीमंडलीय उपसमिति की बैठक में गोबर की कीमत तय कर दी गई है जिसकी अनुशंसा भी उपसमिति ने कर दी है, उप समिति की अनुशंसा के अनुसार गोबर की कीमत डेढ़ रुपये प्रति किलो होगी। बता दें कि प्रदेश सरकार द्वारा खरीदे गए गोबर से खाद तैयार किया जायेगा, जिसे गांव के किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा। बैठक में वन मंत्री मोहम्मद अकबर, सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया शामिल हुये।
मंत्रिमण्डलीय उपसमिति की बैठक में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी और इससे प्रबंधन के संबंध में कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से विस्तार से चर्चा की।बैठक में मंत्री रविन्द्र चौबे एवं मोहम्मद अकबर ने गोबर क्रय करने की पारदर्शी व्यवस्था तय करने की बात कही। उन्होंने कहा कि गौठान समिति अथवा उसके द्वारा नामित समूह द्वारा घर-घर जाकर गोबर संग्रहण किया जायेगा। उन्होंने इसके लिए खरीदी कार्ड की भी व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही, ताकि रोजाना संग्रहित किये जाने वाले गोबर की मात्रा और भुगतान की राशि का उल्लेख कार्ड में किया जा सके। समिति ने किसानों और पशुपालकों में क्रय किये गये गोबर के एवज में पाक्षिक भुगतान किये जाने कीे भी अनुशंसा की है। मंत्री रविन्द्र चौबे ने कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता एवं कृषि संचालक श्री निलेश क्षीरसागर को गौठानों में पशुधन की संख्या और गौठान के रकबे को ध्यान में रखते हुये वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिये कम से कम दस पक्के टांके का निर्माण शीघ्रता से कराये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि पशुधन की संख्या और गौठानों में स्थान की उपलब्धता को देखते हुये टांके का निर्माण कराया जाना चाहिये। समिति ने गोबर संग्रहण का दायित्व गौठान समिति अथवा महिला स्व-सहायता समूह को देने की बात कही। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता ने गोधन न्याय योजना के तहत गोबर के संग्रहण से लेकर वर्मी कम्पोस्ट तैयार किये जाने के संबंध में गौठान समितियों एवं स्व-सहायता समूहों को प्रशिक्षण दिये जाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। नगरीय इलाकों में भी गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा तथा वन क्षेत्रों में वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से किया जायेगा। मंत्रिमण्डलीय उपसमिति ने गौठानों के प्रबंधन, पशुधन के लिये चारे की व्यवस्था, शहरी इलाकों में गौठानों के निर्माण के संबंध में भी अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये। मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट की आवश्यकता किसानों के साथ-साथ उद्यानिकी, वन विभाग एवं नगरीय प्रशासन विभाग को बड़े पैमाने पर होती है। गोधन न्याय योजना के तहत तैयार वर्मी कम्पोस्ट के मार्केटिंग की दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट प्राथमिकता से उस गांव के कृषकों को निर्धारित मूल्य पर प्रदाय की जायेगी।

Ravi sharma

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