गृहस्थ आश्रम सर्वश्रेष्ठ आश्रम-स्वामी लक्ष्मणाचार्य

सोनपुर-गजेन्द्रमोक्ष देवस्थानम नवलखा मंदिर सोनपुर मे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आज पांचवें दिन श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने कहा पूज्य व्यक्तियों का कभी अपमान नहीं करना चाहिए,माता-पिता,गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए,पूज्य व्यक्तियों के अपमान से आयु,धन,विद्या,बुद्धि का विनाश होता है.भगवान की स्मृति ही सम्पत्ति है और उन्हें भुला देना ही विपत्ति का कारण है.उन्होंने कहा कि कलयुग में मनुष्य को दान करना चाहिए.

अपने कमाई का दसवां हिस्सा दान करना चाहिए. आपके कमाई में पशु, पक्षी,दीन, दुखियों, वृद्ध माता-पिता और सत्पात्रो का भी हिस्सा है.दान सुपात्र को करने से दरिद्रता नही आती.उन्होंने कहा कि सर्वग्रास कर जाने वाला मनुष्य नारकीय यातनाओं को भोगते हुए दरिद्रता को प्राप्त करता है.स्वामी जी ने गोवर्धन भगवान की कथा,कालिया नाग मर्दन की कथा, पूतना की कथा और फिर भगवान श्रीकृष्ण के विवाह की कथा सुनाई.
भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के संग विवाह की झांकियां दिखाते हुए श्री स्वामी जी ने कहा कि गृहस्थ आश्रम में विवाह वंश वृद्धि एवं वंश संरक्षण के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि यह गृहस्थ आश्रम सभी आश्रमों में सर्वश्रेष्ठ है.गृहस्थ आश्रम के द्वारा ही सभी आश्रमों का संचालन होता है.स्वामी जी ने जीव और प्रकृति का वर्णन करते हुए कहा कि जीव पुरुषत्व को भूलाकर प्रकृति बना हुआ है.भगवान श्रीकृष्ण की अंगीभूत जीव है जब जीव भगवत प्राप्ति की इच्छा से साधना शुरू करता है तो यह स्थूल शरीर का आवरण हटाकर सुक्ष्म का दर्शन होता है.

 

श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह की झांकी में पुष्प वृष्टि का मनोरम दृश्य बना हुआ था. श्रद्धालुओं की भीड़ के साथ गुटुल सिंह,मुकेश कुमार सिंह, विरेन्द्र शास्त्री, नन्द कुमार, गोपाल झा, जगतगुरु कमलनयनाचार्य,मदनजीत सिंह, समाजसेवी लालबाबू पटेल, धनंजय सिंह,ज्ञान्ती देवी, ममता पटेल , रानी ,कुसुम देवी सहित अनेक श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित थे.

Ravi sharma

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