खिलौनों में ज्ञान , विज्ञान समाहित —पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — हमारे देश के खिलौना उद्योग में बहुत बड़ी ताकत छिपी हुई है। इस ताकत को बढ़ाना , इसकी पहचान बढ़ाना ,आत्मनिर्भर भारत अभियान का बहुत बड़ा हिस्सा है। ये हम सब के लिये आनंद की बात है कि आज हम देश के पहले खिलौना मेले की शुरुआत का हिस्सा बन रहे हैं। ये केवल एक व्यापारिक और आर्थिक कार्यक्रम नहीं है, ये देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मजबूत करने की एक कड़ी है।
उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये खिलौना मेला 2021 का उद्घाटन करते हुये कही। उन्होंने आगे कहा भारतीय खेल और खिलौनों की ये खूबी रही है कि उनमें ज्ञान होता है, विज्ञान भी होता है, मनोरंजन होता है और मनोविज्ञान भी होता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्ले-आधारित और गतिविधि-आधारित शिक्षा को बड़े पैमाने पर शामिल किया गया है।पीएम ने अपने संबोधन में कहा, ‘गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी कविता में कहा है- एक खिलौना बच्चों को खुशियों की अनंत दुनिया में ले जाता है। खिलौना का एक-एक रंग बच्चे के जीवन में कितने ही रंग बिखेरता है। खिलौनों का जो वैज्ञानिक पक्ष है, बच्चों के विकास में खिलौनों की जो भूमिका है, उसे अभिभावकों को समझना चाहिये और अध्यापकों को स्कूलों में भी उसे प्रयोग करना चाहिये। इस दिशा में देश भी प्रभावी कदम उठा रहा है, व्यवस्था में जरूरी कदम उठा रहा है। देश ने खिलौना उद्योग को 24 प्रमुख क्षेत्रों में दर्जा दिया है। राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना भी तैयार किया गया है। इसमें 15 मंत्रालयों और विभागों को शामिल किया गया है ताकि ये उद्योग प्रतियोगी बनें , देश खिलौनों में आत्मनिर्भर बनें और भारत के खिलौने दुनियां में जायें। पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान खिलौना निर्माताओं से कम प्लास्टिक, अधिक रिसाइकिल करने योग्य सामग्री का उपयोग करने को कहा है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल अभियान के तहत देश के खिलौना उद्योग को नई रफ्तार देने की कवायद हो रही है। यह खिलौना मेला आज से शुरू होकर 02 मार्च तक चलेगा। इस मेले के जरिये ग्राहक, खिलौना निर्माता और डिजाइनरों को एक मंच पर लाने की कोशिश की जा रही है। इसमें देश भर के 30 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के 1,000 से ज्यादा खिलौना निर्माताओं के खिलौनों को देखने और उन्हें खरीदने का मौका मिलेगा। इसमें पारंपरिक भारतीय खिलौनों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक खिलौने , आलीशान खिलौने , पहेलियां और खेल सहित आधुनिक खिलौने प्रदर्शित किये जायेंगे। यह मेला कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं के साथ कई वेबिनार और पैनल डिस्कशन की मेजबानी भी करेगा, जिसमें टॉय डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग की सिद्ध क्षमतायें होंगी। बच्चों के लिये यह एक अच्छा अवसर है, जिसमें पारंपरिक खिलौना बनाने पर शिल्प प्रदर्शन और खिलौना संग्रहालयों और कारखानों में आभासी तौर से वे शामिल हो सकेंगे।

Ravi sharma

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