कोरोना से जंग हारे मशहूर कवि डा० कुंवर बेचैन-नईदिल्ली

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली — देश के जाने माने कवि डा० कुंवर बेचैन का आज निधन हो गया। उनका नोएडा के कैलाश अस्पताल में कोरोना का इलाज चल रहा था। उनके निधन की जानकारी मशहूर कवि डॉ.कुमार विश्वास ने ट्वीट कर लोगों को दी। बता दें कुंवर बैचेन की 12 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी। उनकी पत्नी संतोष कुंवर भी कोरोना से संक्रमित थीं। दोनों दिल्ली के लक्ष्मीनगर स्थित सूर्या अस्पताल में भर्ती थे। हालात में कोई सुधार ना होने पर उन्हें आनंद विहार स्थित कोसमोस अस्पताल में शिफ्ट किया गया। वहां उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। इसके बाद डॉ कुमार विश्वास ने कई डॉक्टरों से मदद मांगी। जब उन्हें कहीं से भी मदद नहीं मिली तो उन्होंने ट्विटर पर मदद मांगी। इसके बाद नोएडा के कैलाश अस्पताल के मालिक डॉ. महेश शर्मा ने मदद की उनको अपने अस्पताल में बेड दिलवाया. उनकी पत्नी अभी सूर्या अस्पताल में ही भर्ती हैं।

संक्षिप्त परिचय —
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कुंवर बेचैन मूल रूप से मुरादाबाद के उमरी गांव के थे , उनकी शिक्षा चंदौसी के एसएम कॉलेज में हुई थी। वे गाजियाबाद के एमएमएच महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष रहे। उनका नाम सबसे बड़े गीतकारों और शायरों में शुमार किया जाता था। उनके निधन को साहित्य जगत को एक बड़ी क्षति पहुंची है। व्यवहार से सहज, वाणी से मृदु इस रचानाकार को सुनना-पढ़ना अपने आप में अनोखा अनुभव है। उनकी रचनायें सकारात्मकता से ओत-प्रोत हैं। कुंवर बेचैन ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। मसलन कवितायें , गजल , गीत उपन्यास भी लिखे। असल में उनका नाम डॉ. कुंवर बहादुर सक्सेना है लेकिन वे “बेचैन” उपनाम से अपनी रचनायें लिखते थे। ‘पिन बहुत सारे’, ‘भीतर साँकलः बाहर साँकल’, ‘उर्वशी हो तुम, झुलसो मत मोरपंख’, ‘एक दीप चौमुखी, नदी पसीने की’, ‘दिन दिवंगत हुये’, ‘ग़ज़ल-संग्रह: शामियाने काँच के’, ‘महावर इंतज़ारों का’, ‘रस्सियाँ पानी की’, ‘पत्थर की बाँसुरी’, ‘दीवारों पर दस्तक ‘, ‘नाव बनता हुआ काग़ज़’, ‘आग पर कंदील’, जैसे उनके कई गीत संग्रह हैं। ‘नदी तुम रुक क्यों गई’, ‘शब्दः एक लालटेन’, पाँचाली (महाकाव्य) कविता संग्रह हैं।

Ravi sharma

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