कान्हा की नगरी में धूमधाम से मनी शरदपूर्णिमा अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट मथुरा (वृँदावन )

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

मथुरा (वृँदावन ) — आश्विन मास की पूर्णिमा शरदपूर्णिमा कहलाती है। शरदपूर्णिमा का हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान है इसे कोजागिरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा भी कहा जाता है एवं इस व्रत को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। उड़ीसा में शरदपूर्णिमा को “कुमार पूर्णिमा” कहा जाता है । यहां इस दिन कुंवारी लड़कियांँ सुयोग्य वर पाने के लिये भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं। कई जगह शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इसी शरदपूर्णिमा की रात में ही गोपियों के साथ महारासलीला की थी। इस महारासलीला में भगवान श्रीकृष्ण ही एकमात्र पुरुष थे इनके अलावा वहाँ पुरुषों का प्रवेश वर्जित था। लेकिन महादेव जी के मन में महारासलीला देखने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि वे गोपिका बनकर उसमें शामिल हो गये और आज भी मान्यता है कि आज भी शरदपूर्णिमा की रात भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ वृंदावन के निधिवन में महारास लीला रचाते हैं। निधिवन में तुलसी के पेड़ जोड़ों में पाये जाते हैं। कहा जाता है कि यह सभी तुलसी के पेड़ रास रचाते समय गोपियां बन जाती हैं। सूर्यास्त के बाद निधिवन को खाली करा दिया जाता है किसी भी इंसान को यहां रुकने की इजाजत नहीं होती अन्यथा उनकी मानसिक संतुलन खो जाती है। निधिवन में बने रंगमहल में आज भी राधारानी और श्री कृष्ण के लिये रखे गये चंदन के पलंग को रोज सूर्यास्त के समय सजा दिये जाते हैं। पलंग के पास ही एक लोटा पानी , राधारानी के श्रृंगार का सामान , दातुन और पान रखा जाता है। सुबह रंगमहल का दरवाजा खोलने पर बिस्तर अस्त-व्यस्त मिलता है , लोटे का पानी गायब और उपयोग की हुई दातुन दिखायी पड़ती है एवं पान भी खाया हुआ मिलता है। मान्यता है कि इन सभी चीजों का उपयोग श्री कृष्ण और राधा द्वारा किया जाता है।

शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर वृंदावन के हर मंदिरों एवं गलियों में भक्ति का माहौल देखने को मिला वही वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध मंदिर बांके बिहारी में अपने आराध्य के दर्शन के लिये लोग आधी रात से ही लाईन लगाते हुये नजर आये। देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों के अलावा ब्रज चौरासी कोस की गलियों में राधे राधे के जयकारे गूंजते रहे। आधी रात के बाद ठाकुर जी की आरती उतारकर खीर रबड़ी और श्वेत चंद्रकला का भोग अर्पित कर श्रद्धालुओं को वितरित किया गया। जगह-जगह पुलिस प्रशासन द्वारा भीड़ को नियंत्रित करने के लिये वैरिटिक्स लगाये गये। सभी मंदिरों में अनवरत ठाकुर जी के गुणगान गाये गये वहीं निधिवन में महारास का आयोजन किया गया। इसके साथ ही वृंदावन की एक माह की परिक्रमा आज से शुरू हुई। चंद्रसरोवर में 5100 दिये प्रज्वलित किये गये। गिरिराज जी पर सुबह से ही दुग्धाभिषेक थमने का नाम नहीं ले रही थी।

Ravi sharma

Learn More →