कवर्धा में स्वामी करपात्री जयंती धूमधाम से मनायी गयी-

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

कवर्धा — धर्मसंघ पीठ परिषद, आदित्यवाहिनी एवम आनंदवाहिनी के द्वारा सारँगपुरखुर्द स्थित श्रीपंचदेव मंदिर में स्वामी करपात्री जयंती धूमधाम से मनाई गई। सर्वप्रथम मन्दिर के संचालक डॉ गोवर्धन सिंह ठाकुर ने स्वामी करपात्री जयंती की सबको बधाई दी एवम सदस्यों ने स्वामी जी के तैलचित्र के समक्ष सामूहिक पूजन किया ।
इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में आदित्यवाहिनी के प्रांतीय महामंत्री अवधेशनन्दन श्रीवास्तव ने स्वामी करपात्री जी की जीवनी पर सविस्तार प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज ने सनातन धर्म की रक्षा का जो अभियान चलाया, वो अमोघ है जिसके धैर्यपूर्वक अनुशीलन करने की आवश्यकता है। सनातन धर्म व सनातनमानबिन्दुओं की रक्षा तथा देश की अखंडता के लिये वे आजीवन कटिबद्ध रहे इसके लिये उन्हें जेल भी जाना पड़ा तथा कठोर यातनाएं भी सहनी पड़ी। जेल के भीतर उनकी आंखों में लोहे के शूल तक चुभोये गए। वे धर्मनियन्त्रित पक्षपातविहीन शोषणविनिर्मुक्त सर्वहितप्रद सनातन शासनतंत्र एवम अखण्ड भारत के स्वप्न द्रष्टा तथा इस अभियान के संचालक थे। यदि उन्होनें रामराज्य और मार्क्सवाद नामक ग्रन्थ की रचना न की होती तो आज पूरा देश कम्युनिस्ट हो जाता। स्वामी करपात्री जी महाराज ने कालक्रम से विलुप्त ज्ञान विज्ञान को अपने तपोबल से पुनः उद्भासित किया तथा विकृत ज्ञान विज्ञान को शुद्व किया यही नहीं समास एवम सूत्रात्मक शैली में उपलब्ध ज्ञान विज्ञान को अपनी अद्भुत मेधाशक्ति एवम प्रज्ञाशक्ति के बल पर विशद किया। स्वामी करपात्री जी महाराज की विलक्षणता इस बात से सिद्ध हो जाती है कि धर्म, अध्यात्म, राजनीति एवम दर्शन आदि जटिल एवम गूढ़ विषयों के मूर्धन्य विद्वान थे। वे न केवल एक कुशल वक्ता थे अपितु कुशल लेखक भी थे। किसी भी विषय का श्रुति, युक्ति और अनुभूति अर्थात दर्शन, विज्ञान एवम व्यवहार के आधार पर प्रतिपादन करने में सर्वथा समर्थ थे। उन्होंने शासनतंत्र में आई विकृति को दूर करने के लिए रामराज्य परिषद की स्थापना की थी। तीन बार स्नान, संध्या, ब्रह्ममुहूर्त में ढाई घण्टे शीर्षासन की मुद्रा में श्रीदुर्गासप्तसती का पाठ करना उनकी दैनिक दिनचर्या थी। हथेली में एक बार में जितना प्रसाद आ जाये, वे केवल उतना ही ग्रहण करते थे। इसलिए उनका नाम करपात्री पड़ा। वे श्रीमद जगदगुरु शंकराचार्यों के भी गुरु थे तथा अभिनवशंकर की उपाधि से समलंकृत थे। जब ऐसे महामनीषी के दिव्य संदेशों का देशवासी अनुसरण करेंगे एवम उनके द्वारा चलाये गए धर्मनियन्त्रित पक्षपातविहीन शोषणविनिर्मुक्त सर्वहितप्रद सनातन शासनतंत्र एवम अखण्ड भारत के अभियान को आगे बढ़ाएंगे तभी उनकी जयंती मनाने की सार्थकता सिद्ध होगी।
इस अवसर पर स्वामी जी के तैलचित्र पर डॉ गोवर्द्धन सिंह, सन्तोषसिंह, अवधेशनन्दन श्रीवास्तव, भोला तिवारी, नारायण गुप्ता जिलाध्यक्ष, सुरेंद्र गुप्ता नगर अध्यक्ष, सुरेश गुप्ता, भरत वर्मा एवम जलेश चंद्रवंशी के द्वारा विधिवत पूजन किया गया तदुपरान्त सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ कर प्रसाद वितरण किया गया। भोला तिवारी ने एक भजन के साथ सबका आभार प्रदर्शन किया।

Ravi sharma

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