इको फ्रेंडली राखी बनाने का प्रशिक्षण दे रही अल्पना देशपांडे-

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
————————————-

रायपुर — वैश्विक महामारी संकटकाल में रक्षाबंधन त्यौहार धूमधाम से मनाने हेतु रायपुर निवासी डॉक्टर अल्पना देशपांडे इन दिनों घरेलू सामग्री से कलात्मक डिजाईनों में अनूठी इको फ्रेंडली राखियांँ बनाने का प्रशिक्षण व्हाट्सएप एवं आनलाईन के माध्यम से राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों को दे रही हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण वे विगत पाँच वर्षों से दे रही हैं। वे अब तक राखी की अनेक प्रदर्शनियाँ भी लगा चुकी हैं और इससे अर्जित धनराशि का उपयोग समाज सेवा जैसे अनाथ आश्रम, आदिवासी आश्रम, स्वच्छता अभियान, सीमा में तैनात सैनिकों हेतु, दिव्यांग सेवा कार्य में उपयोग किया जाता है।
इको फ्रेंडली राखी प्रशिक्षण के साथ साथ पर्यावरण की रक्षा और कोरोना संकटकाल में बाजार जाने से बचने का सुझाव भी साझा कर रही हैं। प्लास्टिक एवं चाईना राखियों का बहिष्कार करते हुये धान के कटोरे के नाम से जाने जाना वाला छत्तीसगढ़ की मुख्य पैदावार धान, पैरा, भूसा, चाँवल के दाने से तिरंगा एवं झंडा डिजाइन की राखी, गेहूं के दाने एवं उनके ठूठ से, बैंबू, विभिन्न प्रकार की दालें, मूंग दाना, साबूदाना, हल्दी, रुद्राक्ष भुट्टे के छिलके के फूल, मक्की के आटे या ब्रेड के चूरे में फेविकोल, सफेद रंग, जिंक ऑक्साइड पाउडर डालकर गैस में कुछ देर रख कर इस आटे से डिजाइनर फूल, कार्टून आदि बनाने का उनका प्रशिक्षण कार्य इन दिनों अपनी चरम सीमा पर है। उनका कहना है कि घर में पुराने न्यूज़पेपर को रात भर भिगोकर पीसकर लुगदी बनाने गोंद डालकर पेपर मेसी राखी, गाय के गोबर को सुखाकर पीस के पंचद्रव्य में शामिल गाय के गोबर और मौली धागे से बनी राखी, लाख, पेपर क्विलिंग, आइसक्रीम चम्मच, कपड़ों की कतरन , साटन रिबन के फूल, माइक्रम डोरी, रेशम डोरी, उन, विभिन्न प्रकार के पौधों के बीजों से बनी राखी वृक्षारोपण एवं पर्यावरण के दृष्टिकोण से तैयार की गई अनूठी राखियांँ अपने हाथों से बनाकर अपने प्यारे भाई की कलाई में बांधने से उन्हें खुशी की अलग ही अनुभूति होगी। इन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना के राज्य स्तरीय शिविरों में, अनेक महाविद्यालयों में, शासकीय विद्यालय आरंग में 45 शिक्षकों को सीसीआरटी नई दिल्ली द्वारा आयोजित सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षित किया। राखी के अलावा पेपर बैग, ग्रीटिंग्स, ऑफिस एवं पर्यावरण प्रोजेक्ट के लिये इको फाईल के प्रयोग हेतु प्रशिक्षण एवं जागरूक कर रही है। युवा वर्ग को आत्मनिर्भर करना एवं पर्यावरण संरक्षण इनका मुख्य उद्देश्य है। डॉ० खूबचंद बघेल शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कार्यरत डॉक्टर अल्पना देशपांडे को महाविद्यालय की प्राचार्य अमृता कस्तूरे का सदैव मार्गदर्शन मिलता रहा है, छत्तीसगढ़ राज्य संपर्क अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना समन्वयक डॉ समरेंद्र सिंह द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रत्येक कार्यक्रमों में प्रदर्शनी लगाने का अवसर प्रदान कर समाज सेवा हेतु उत्साहित किया। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति माननीय डॉ अरुणा पलटा मैडम जी द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना बालिका इकाई द्वारा आयोजित प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुये ऐसे कार्यों का प्रोजेक्ट बनाकर विश्वविद्यालय मैं प्रस्तुत करने कहा गया। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉक्टर आर० पी० अग्रवाल जी प्रेरणा के स्त्रोत है, जिला संगठक डॉ० विनय शर्मा जी का प्रोत्साहन एवं सहयोग प्राप्त होता है , सभी के मार्गदर्शन से कार्यों में प्रगति एवं ऊर्जा की प्राप्ति होती है। राष्ट्रीय सेवा योजना बालिका इकाई की स्वयंसेवक कुमारी दीप्ति नेताम, कुमारी मोनिका वर्मा, कुमारी जय श्री निर्मलकर, कुमारी मौसमी बंछोर, कुमारी हर्षा वर्मा, कुमारी पूजा जोशी, कुमारी सत्या यादव, कुमारी वर्षा पांडेय, कुमारी त्रिवेणी यादव, कुमारी ज्योति वर्मा, कुमारी पद्मनी मदरिया, कुमारी रत्ना चंद्राकर, कुमारी कुसुम,इति कुमारी, जी लता, निधि झा, छाया, तनुजा, कनक , नंदिनी, नेहा, नीतू, पूजा चतुर्वेदी आदि छात्राओं का राखी निर्माण कार्य में उल्लेखनीय योगदान रहता है। डॉक्टर अल्पना देशपांडे एवं स्वयंसेविकाओं द्वारा वृक्षों की रक्षा हेतु राखी बनायी गयी है जिसे रक्षाबंधन के दिन वृक्षों को बांँधकर उनके संरक्षण का संकल्प लिया जायेगा।

Ravi sharma

Learn More →