इंकलाब से अमिताभ तक का सफर , आज जन्मदिन विशेष

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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मुम्बई – सदी के महानायक कहे जाने वाले और प्रसिद्ध बॉलीवुड कलाकार अमिताभ बच्चन आज अपना 79 वांँ जन्मदिन मना रहे हैं। आज जन्मदिन पर देश भर के बॉलीवुड , खेल जगत और राजनीतिक गलियारे से लेकर प्रशंसक सभी अपने-अपने तरीके से महानायक को बधाई दिया जिनकी महानायक ने आभार व्यक्त किया है। दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन के बंगले के बाहर फैंस बिग बी को विश करने के लिये असंख्य लोग इकट्ठा हुये , सभी एक-साथ मिलकर अमिताभ के जन्मदिन के मौके पर जलसा के बाहर जश्न मनाते दिखायी दिये। वहीं , अपने जन्मदिन के मौके पर अमिताभ बच्चन हर साल की तरह इस बार भी अपने घर ‘जलसा’ के बाहर आये और बाहर मौजूद लोगों का अभिवादन भी किया। बाहर खड़े लोगों ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी और उनकी जय-जयकार भी की। फैंस के चेहरे पर काफी खुशी दी और लोग तालियां बजाते हुये नजर आये। अपने जन्मदिन के मौके पर उन्होंने एक बड़ा फैसला लेते हुये पान मसाला कंपनी ‘कमला पसंद’ से अपनी डील तोड़ दी है। बता दें हाल ही में अमिताभ बच्चन को पान मसाला के विज्ञापन करने के लिये आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था , इसे लेकर बिग बी ने अपने ऑफिस का बयान भी अपने ब्लॉग में शेयर किया है। ये कई दशकों से पर्दे पर अपने दमदार अभिनय के चलते करोड़ों लोगों के दिलों में बसे हुये हैं। इनका जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। अमिताभ प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन के सुपुत्र हैं , इनकी माँ तेजी बच्चन कराची से थी। बचपन में इनकी माँ इन्हें मुन्ना कहकर बुलाती थी , शुरू में इनका नाम इंकलाब रखा गया था।चूकि इनके पिता हरिवंश राय बच्चन स्वयं एक बड़े कवि रहे , इसलिये इनके घर इलाहाबाद में कवियों की महफिल जमती थी। एक बार ऐसे ही प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत इनके घर आये। उन्होंने अमिताभ को देखकर पूछा – बेटा तुम्हारा क्या नाम है ? अमिताभ ने जवाब दिया – इंकलाब। कवि पंत इस नाम से खुश नही हुये और उन्होंने इनका नाम अमिताभ रखा। ये अपनी जिंदगी में एक्टर नही बल्कि इंजीनियर बनना चाहते थे , साथ ही एयरफोर्स में भी जाने का उनका सपना था। फिल्मी कैरियर की शुरुआत में इन्हें बारह फ्लाप फिल्में झेलनी पड़ी थी। उनकी भारी भरकम आवाज की वजह से आल इंडिया रेडियो ने भी इनको रिजेक्ट कर दिया था। हालाकि इसके बाद इन्होंने फिल्म जंजीर से बालीवुड में अपनी अलग ही पहचान बना ली। इस फिल्म के बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नही देखा और लगातार नये कीर्तिमान स्थापित करते हुये बालीवुड के शहँशाह बन गये। इनकी फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत इनके डायलॉग हुआ करते है। आज भी इनके कई डायलॉग इनके प्रशंसकों के जीवनशैली का हिस्सा बन चुके हैं।
अमिताभ की पहली 07 नवंबर 1969 में रिजी हुई थी जिसका नाम ‘सात हिंदुस्तानी’ था। यह फिल्म ख्वाजा अहमद अब्बास ने डायरेक्ट की थी। फिल्म में गोवा को पुर्तगाल शासन से मुक्त कराने की सात हिंदुस्तानियों की कहानी है। इस फिल्म के लिए अमिताभ को पांच हजार रुपये मिले थे। हालांकि यह फिल्म उस वक्त बॉक्स ऑफिस पर कुछ कमाल नहीं कर सकी थी।
इन्होंने लोकप्रियका 1970 के दशक के दौरान प्राप्त की और धीरे-धीरे भारतीय सिनेमा के इतिहास में इनका नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। वे पिछले पांच दशकों से हिंदी फिल्मों में सक्रिय हैं। उन्होंने 200 से ज्यादा फिल्में की हैं। अपने अभिनय करियर में अनगिनत पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से लेकर पद्मश्री और पद्मभूषण तक का सर्वोच्च सम्मान मिल चुका है। तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सोलह बार फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने वाले अमिताभ बच्चन सिर्फ एक्टर ही नहीं बल्कि प्लेबैक सिंगर और फिल्म प्रोड्यूसर भी हैं। उन्होंने बड़े पर्दे के साथ ही छोटे पर्दे पर भी अपनी उपस्थिति से दर्शकों के दिलों में राज किया है। फिल्मों में उनके योगदान को देखते हुये वर्ष 2015 में फ्रांस की सरकार ने भी उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान नाइट ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया। इनकी बेहतरीन फिल्मों में शोले , दीवार , कालिया ,अग्निपथ , निशब्द , बंटी और बबली इत्यादि का नाम लिया जाता है। पांँच दशक के अपने लंबे फिल्मी सफर के दौरान अमिताभ बच्चन ने एक्शन , कॉमेडी , थ्रिलर , हॉरर और ना जाने कितनी ही तरह की जॉनर की फिल्मों में काम किया लेकिन बिग बी का एंग्री यंग मैन वाला किरदार उनके फैंस को सबसे ज्यादा अनमोल है। ‘शोले’ से लेकर ‘दीवार’ और ‘कालिया’ तक में अमिताभ ने जिस एंग्री यंग मैन के किरदार को निभाया वो आज भी याद किया जाता है। उन्होंने अपना नाम सार्थक कर दिया है। अमिताभ शब्द का अर्थ होता है ‘अत्यंत तेजस्वी’ और उनका नाम सार्थक भी है क्योंकि अपनी तेजस्विता से उन्होंने पूरे कला जगत को गौरवान्वित किया है। सदी के महानायक एक बहुभाषी अनटाइटल्ड फिल्म में दीपिका व प्रभास के साथ नजर आयेंगे , यह फिल्म 2022 में रिलीज होगी। इसके अलावा अमिताभ बच्चन आगामी फिल्म ‘झुंड’ , ‘चेहरे’ और ‘ब्रह्मास्त्र’ में नजर आने वाले हैं। अमिताभ बच्चन के ऊपर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं , जिनमें अमिताभ बच्चन : द लिजेंड 1999 में, टू बी ऑ नॉट टू बी: अमिताभ बच्चन 2004 में लिखी गई थी। एबी: द लिजेंड ( ए फोटोग्राफर्स ट्रिब्यूट) 2006 में लिखी गई है। साल 2007 में लुकिंग फॉर द बिग बी: बॉलीवुड, बच्चन एंड मी 2007 और बच्चनानिया 2009 में प्रकाशित हुई है।

चुनाव में हासिल की रिकार्ड जीत
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फिल्मों के साथ ही राजनीति में भी केरियर आजमाने वाले अमिताभ भले ही पॉलिटिक्स में ज्यादा वक्त नहीं रह पाये हों,  लेकिन आठवीं लोकसभा चुनाव में अपने गृह क्षेत्र इलाहाबाद की सीट से उन्होंने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री एचएन बहुगुणा को हराया जरूर था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को सियासत में जमने के लिये अपनों की जरूरत महसूस हुई। ऐसे में उन्होंने अपने करीबी दोस्त अभिनेता अमिताभ बच्चन को चुनाव लडऩे के लिये कहा। अमिताभ को इंदिरा अपने बेटे समान मानती थीं। अमिताभ ने राजीव का आग्रह मान लिया और तय हुआ कि अमिताभ इलाहाबाद से उस वक्त के दिग्गज नेता हेमवतीनंदन बहुगुणा को चुनौती देंगे। ये वही बहुगुणा थे जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे और केंद्र में कद्दावर मंत्री। इंदिरा गांधी से अनबन के बाद इन्होने कांग्रेस छोड़ दी थी। इस चुनाव में बहुगुणा और उनके समर्थकों ने अमिताभ बच्चन पर  खूब तंज कसे थे। बहुगुणा ने कहा था कि  ये नाचने -गाने वाले हैं (अमित-जया ) चार दिन बाद  मुंबई लौट जायेंगे।  इस पर जब मीडिया ने अमिताभ और जया से सवाल पूछे तो उनकी प्रतिक्रिया थी -बहुगुणा जी हमसे बड़े हैं , उनकी बात पर हम कुछ नहीं कह सकते। लेकिन इसी चुनाव में अमिताभ बच्चन ने हेमवती नंदन बहुगुणा को हजार दो हजार नहीं बल्कि एक लाख सतासी हजार वोटों के अंतर से हराया। इस हार के बाद बहुगुणा सियासत से ही संन्यास ले लिये थे।

इतिहास में दर्ज किस वोट
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इस चुनाव की एक और खास बात थी , मतगणना के दौरान दिलचस्प कारणों से अमिताभ बच्चन के चार हज़ार वोट रद्द हो गये। इन वोटों पर लिपिस्टिक से से किस मार्क (चुम्बन चिन्ह)  बने हुये थे।  दरअसल ये अमिताभ की फैन्स  महिलाओं /लड़कियों के वोट थे जिन्होंने मतपत्र पर  मुहर के बजाये किस मार्क लगाकर वोट डाला था।  एक शख्स  के प्रति लगाव का ऐसा उदाहरण आज तक कोई दूसरा नहीं आया है। हालांकि ये दीगर बात है कि अमिताभ बच्चन ने वो कार्यकाल पूरा नहीं किया और वर्ष 1988  में सांसदी छोड़ दी थी।  लेकिन उनके ये किस वोट इतिहास में दर्ज जरूर हो गये।

Ravi sharma

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