आज हलषष्ठी व्रत — राष्ट्रीय सूचना प्रसारण आयुक्त अरविन्द तिवारी की कलम ✍से

रायपुर – भारतीय संस्कृति में यूँ तो सभी पर्वों का अपना अलग-अलग महत्व है इन्ही पर्वों में से एक हलषष्ठी पर्व है जिसमे संतान की सुख-समृद्धि व दीर्घायु होने की मनोकामना के लिये हलषष्ठी (खमरछठ) का पर्व विभिन्न मंदिरों एवं घरों में महिलाओं द्वारा सामूहिक रुप से पूजा-अर्चना कर मनाया जायेगा। पुत्र के दीर्घायु होने की कामना को लेकर माताओं द्वारा मनाया जाने वाला छत्तीसगढ़ का पावन पर्व खमरछठ व्रत भादो माह की षष्ठी तिथि को आज मनाया जायेगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठभ्राता श्रीबलराम जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।षष्ठी में उपवास रहकर मिट्टी से निर्मित भगवान शंकर, पार्वती, गणेश, कांर्तिकेय, नंदी , बांटी, भौंरा, एवं शगरी बनाकर पूजा-अर्चना किया गया जाता है एवं कनेर, धतूरा, मंदार, बेलपत्ती, सफेद फूल आदि विशेषरुप से भगवान को चढ़ाया जाता है। आज के दिन पूजन पश्चात महिलायें प्रसाद के रुप में पसहर चांवल, भैसी का दूध, दही, घी, मुनगे का भाजी सहित 06 प्रकार की भाजी एवं बिना हल जोते मिर्च का फलाहार किया जाता है। इस व्रत में महिलाओं हल द्वारा उत्पन्न खाद्य फसल से परहेज करती है। इस दिन महिलायें अपनी संतान की दीर्घायु के लिये पुत्र के बायें कंधे एवं पुत्री के दायें कंधे में 06 – 06 बार नये कपड़े के कतरन को शगरी में डुबाकर चिन्ह लगाती हैं जिससे उनकी संतान को भगवान का आर्शीवाद प्राप्त होता है।

Ravi sharma

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