आज सोमवती अमावस्या – अरविन्द तिवारी की कलम ✍️ से

ऑफिस डेस्क – सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता है , इस दिन कई प्रकार के धार्मिक कार्य किये जाते हैं। प्रत्येक साल में बारह अमावस्या होती है ,इस दिन जप , तप ,ध्यान करने से जीवन से नकारात्मकता का नाश हो जाता है। इस साल सोमवती अमावस्या आज सोमवार को मनायी जायेगी , सोमवार पड़ने के कारण यह सोमवती अमावस्या होगी। इसके साथ ही इसे दर्श अमावस्या या मार्गशीर्ष अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार की मनोकामनायें पूरी होती है। इस दिन पितरों की शांति के लिये स्नान , तर्पण ,दान-धर्म आदि कार्य किये जाने का विधान है।श्रुतिस्मृति पुराणों के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का बहुत महत्व है। इस दिन गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान करना बहुत फलदायी होता है। आज के दिन नदी में स्नान करने से परिवार में सुख , समृद्धि आती है , दु:ख और रोगों से मुक्ति मिलती है , स्नान के बाद दान करने से पितर खुश होते हैं। परन्तु इस साल कोरोना महामारी के चलते नदियों में स्न्नान करना संभव ना हो तो घर पर सूर्योदय से पूर्व नहाने के जल में गंगा जल डालकर स्न्नान कर सकते हैं। पानी में गंगाजल या अन्य पवित्र तीर्थों का जल मिलाकर नहाने से भी तीर्थ स्नान जैसा पुण्य मिलता है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर इन  कामों को करने से आपके जीवन में सुख-सौभाग्य की बरसात होगी, वहीं कुछ काम ऐसे है जिन्हें इस दिन करने से आपका जीवन कष्टों से भर सकता है। मान्यता यह भी है कि इस दिन विधिवत स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

पीपल की विधिवत पूजा
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इस समय भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय मास मार्ग शीर्ष चल रहा है। मार्ग शीर्ष की अमावस्या को अगहन अमावस्या या पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पीपल के पेंड़ मेंपितर और सभी देवों का वास होता है , इसलिये सोमवती अमावस्या के दिन दूध में पानी और काला तिल मिलाकर सुबह पीपल को चढ़ाते हैं , ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव तथा पीपल के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा है। साथ ही पीपल के पेड़ में 108 बार कच्छा सूत लपेटा जाता है। साथ ही उसकी परिक्रमा की जाती है , इससे सभी देवता प्रसन्न हो जाते हैं। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी उम्र की कामना से व्रत रखती हैं , आज के दिन मौन व्रत रखने से हजारों गायें दान करने का फल मिलता है। महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुये कहा था कि कलयुग में जो मनुष्य इस दिन पवित्र नदियोँ में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध , स्वस्थ और सभी दु:खों ,रोगों से मुक्त होगा। इस दिन तुलसी माता की 108 बार परिक्रमा कर श्री हरि नाम का जाप करने से गरीबी से मुक्ति मिलती है। विष्णु पुराण के अनुसार अमावस्या के दिन जो वृक्ष , लता आदि को काटता है और पत्तों को तोड़ता है उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है। शनि और पितृदोष से छुटकारा पाने के लिये इस दिन उड़द या उड़द की छिलके वाली दाल , काला कपड़ा , तला हुआ पदार्थ और दूध गरीबों को दान करनी चाहिये। धन-धान्य व सुख संपदा पाने के लिये हर अमावस्या को तिल , जौ , चाँवल , गाय का घी ,चंदन पाउडर ,गुड़ ,देशी कपूऋ , गौ चंदन या कण्डा का मिश्रण बनाकर हवन कुंड मेंदेवताओं का ध्यान करते हुये आहुति डालनी चाहिये।

Ravi sharma

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