आज सर्वपितृ अमावस्या पर विशेष — अरविन्द तिवारी की कलम ✍ से

आज इस वर्ष के पितृपक्ष का अंतिम दिवस है जिसे सर्वपितृ अमावस्या व पितृ विसर्जनी या महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।मान्यताओं के अनुसार इस दिन वो लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं जिनकी मृत्यु किसी महीने की अमावस्या तिथि को हुई हो या जिन्हें अपने पूर्वजों की पितृ तिथि आदि के बारे में जानकारी नहीं होती। क्योंकि इस दिन हर कोई अपने पूर्वजों का श्राद्ध व पितृ तर्पण कर सकता है इसलिये इस अमावस्या को बहुत खास माना जाता है। इस बार 20 साल बाद अमावस्या पर ये शुभ संयोग आया है कि ये अमावस्या शनिवार को पड़ रही है जिसके चलते इसका महत्व ज्यादा बढ़ गया है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिये निम्न उपाय अवश्य करें —
तर्पण करने से पूर्व हाथ में कुश की अंगूठी पहनें। इसके बाद दायें हाथ में जल, जौ और काले तिल लेकर अपना गोत्र बोलें और फिर इन चीजों को पितरों को समर्पित कर दें।पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलायें इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी। चूकि 20 साल बाद शनिवार के दिन पड़ रही है इस सर्वपितृ अमावस्या के दिन चींटी, कौवा, गाय, कुत्ता और ब्राह्मण के नाम से भोजन निकाल दें। पितरों की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी। अमावस्या के दिन श्राद्ध के लिये तिल और चावल मिलाकर पिंड बनायें और पितरों को अर्पित करें। इसके अलावा सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह सूर्य देव को जल अर्पण करें। आज पितृ अमावस्या के दिन पीपल एवं बरगद का पेंड़ अवश्य लगायें। आज के दिन पीपल पेंड़ में जल , पुष्प , अक्षत , दूध , गंगाजल , काला तिल चढ़ाकर दीपक जलाने एवं नाग स्तोत्र , महामृत्युंजय मंत्र , रूद्रसूक्त , पितृस्तोत्र , नवग्रह स्तोत्र , विष्णु मंत्र का जाप , भागवत गीता पाठ करने से पितरों को शांति मिलती है एवं पितृदोष में कमी आती है ।

Ravi sharma

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