रायपुर — आज देश भर में काल भैरव जयंती मनाई जा रही है क्योंकि मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान शिव का दूसरा रौद्र रूप काल भैरव का जन्म हुआ था। कालभैरव दो शब्दों से मिलकर बना है — एक काल और दूसरा भैरव। काल का अर्थ होता है मृत्यु, डर और अंत जबकि भैरव का मतलब है भय को हरने वाला। जिससे काल भी डरता है। काल भैरव की पूजा करने से मृत्यु का भय दूर हो जाता है और जीवन में आ रहे कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने का खास महत्व माना गया है। भैरव को तंत्र-मंत्र का देवता भी माना जाता है।इनकी कृपा से हर तरह की तांत्रिक क्रियायें निष्फल हो जाती हैं और व्यक्ति को खुशहाली मिलती है। काल भैरव भगवान शिव का ही रूप माना जाता है इसलिये आज के दिन शंकर भगवान की पूजा भी की जाती है।काल भैरव का वाहन कुत्ता होता है। इसलिये व्रत रखने वालों को इस दिन कुत्ते को भोजन जरूर कराना चाहिये। इस दिन उपवास करके भगवान काल भैरव के समीप जागरण करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
मार्गशीर्षसिताष्टम्यो कालभैरवसंन्निधौ।
उपोष्य जागरन् कुर्वन् सर्वपापै: प्रमुच्यते।।
भैरव जी काशी के नगर रक्षक(कोतवाल) हैं। काल भैरव की पूजा का काशी नगरी मे विशेष महत्व है। काशी में भैरव जी के अनेक मंदिर हैं । जैसे – काल भैरव, बटुक भैरव,आनन्द भैरव आदि। काल भैरव अष्टमी के दिन भगवान भैरव को काली उड़द की दाल से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। इस दिन काली उड़द की दाल से बनी हर चीज को सरसों के तेल में बनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन उड़द दाल से बने दही बड़े, गुलगुले, कचौड़ी आदि का भोग लगाने से काल भैरव भक्तों पर शीघ्रता से प्रसन्न होते हैं। काल भैरव को प्रसन्न करने के लिये ” ऊँ भैरवाय नम:” मंत्र से षोडशोपचार पूजन करने के साथ निम्न मंत्र का जाप करना चाहिये —
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!