आज ब्रह्ममुहुर्त में खुले भगवान बद्रीविशाल के कपाट-बद्रीनाथ धाम

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

बद्रीनाथ धाम — उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम के कपाट पूरे विधि-विधान के साथ आज ब्रह्म मुहूर्त में प्रात: 04:30 बजे कृष्ण अष्टमी तिथि धनिष्ठा नक्षत्र में बेहद सादगी के साथ बहुत ही कम लोगों की उपस्थिति में खोल दिये गये। पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को दस क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था। कपाट खोलने से पहले बदरीनाथ सिंह द्वार, मंदिर परिसर, परिक्रमा स्थल, तप्त कुंड के साथ ही विभिन्न स्थानों को सैनिटाइज किया गया। कोरोना महामारी के चलते इस बार जहां बद्रीनाथ जी के सिंह द्वार पर होने वाला संस्कृत विद्यालय के छात्रों का मंत्रोच्चार और स्वस्तिवाचन भी नहीं हुआ। वहीं इस बार भारतीय सेना गढ़वाल स्कॉउट के बैंड बाजों की मधुर ध्वनि और भक्तों के जय बद्रीनाथ विशाल के जयकारे भी पूरे बद्रीनाथ धाम से गायब रहे। बद्रीनाथ में आज होने वाला विष्णु सहस्त्रनाम पाठ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की हुआ और देश को कोरोना से मुक्ति की कामना की गयी। कपाट खुलने के समय मुख्य पुजारी रावल, धर्माधिकारी भूवन चन्द्र उनियाल, राजगुरु सहित केवल कुछ लोग ही शामिल हो सके. इस दौरान मास्क के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया। आज ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले कपाट खुलते ही भगवान बद्रीविशाल की मूर्ति से घृत कंबल को हटाया गया। कपाट बंद होते समय मूर्ति पर घी का लेप और माणा गांव की कुंँवारी कन्याओं के द्वारा बनायी गयी कंबल से भगवान को ढका जाता है और कपाट खुलने पर हटाया जाता है।इसके बाद मां लक्ष्मी बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ गृह से बाहर आयी जिसके बाद भगवान बद्रीनाथ जी के बड़े भाई उद्धव जी और कुबेर जी का बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश हुआ। इसी के साथ भगवान बद्रीनाथ के दर्शन शुरू हुये। कपाट बंद की अवधि में छह माह से जल रही अखंड ज्योति के दर्शन किये गये। गौरतलब है कि पहले बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 30 अप्रैल निर्धारित की गयी थी। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इतिहास में पहली बार बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि में बदलाव किया गया है।

Ravi sharma

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