आज ऋषि पंचमी पर विशेष — राष्ट्रीय सूचना प्रसारण आयुक्त अरविन्द तिवारी की कलम ✍ से

रायपुर — हिंदू धर्म में वेदों का काफी अधिक महत्व है चारों वेदों में हजारों मंत्रों की रचना ऋषि यों ने की है मंत्रों की रचना करने में सप्तर्षियों का सबसे ज्यादा योगदान माना गया है। इन शक्तियों को ही आज का ऋषि पंचमी व्रत समर्पित है।


प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह पर्व आज 03 सितंबर मंगलवार को मनाया जा रहा है। इस दिन सप्त ऋषियों का पूजन किया जाता है। इस व्रत के संबंध में मान्यता है कि रजस्वला काल यानी माहवारी में अगर किसी महिला से कोई भूल हो जाती है तो इस व्रत के करने से उस भूल के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं इसलिये इस पर्व का धर्म में बहुत अधिक महत्व है। आज ऋषि पंचमी का व्रत सभी महिलायें व कन्यायें पूरी श्रद्धा व भक्ति के साथ रखेंगी।

इस दिन सप्त ऋषियों का पूर्ण विधि-विधान से पूजन कर कथा श्रवण करने का महत्व है। हालांकि सप्तर्षियों के संबंध में आप ही मतभेद भी हैं लेकिन ज्यादा नामावली के आधार पर वशिष्ठ , विश्वामित्र , कण्व , भारद्वाज , अत्रि , वामदेव और शौनक का ही नाम लिया जाता है। ऋषि पंचमी व्रत महिलाओं व युवतियों के लिये आवश्यक माना गया है।यह व्रत पापों का नाश करने वाला व श्रेष्ठ फलदायी है। ऋषि पंचमी पर व्रत रखकर महिलायें अपने ज्ञात-अज्ञात पापों के शमन के लिये हिमाद्रि स्नान करेंगी।

आज नदी, तालाब आदि में स्नान करने का विशेष महत्व है।शास्त्रों के अनुसार ऋषि पंचमी पर हल से जोते अनाज आदि का सेवन निषिद्ध है। इस अवसर पर महिलायें व कुँआरी युवतियाँ सप्त ऋषि को प्रसन्न करने के लिये इस पूर्ण फलदायी व्रत को रखेंगी। कहा जाता है कि पटिये पर 07 ऋषि बनाकर दूध, दही, घी, शहद व जल से उनका अभिषेक किया जाता है साथ ही रोली, चाँवल, धूप, दीप आदि से उनका पूजन करके तत्पश्चात कथा सुनने के बाद घी से होम किया जाता है।

जो महिलायें ऋषि पंचमी का व्रत रखेंगी वे सुबह-शाम दो समय फलाहार करके व्रत को पूर्ण करेंगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में हल से जुता हुआ कुछ भी नहीं खाते हैं। इस बात को ध्यान में रखकर ही यह व्रत किया जाता है। वे केवल फल, मेवा व समां की खीर, मोरधन से बने व्यंजनों को खाकर व्रत रखेंगी तथा घर-घर में भजन-कीर्तनों का आयोजन किया जाता है।

Ravi sharma

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