अयोध्या में मस्जिद निर्माण की अनुमति एक अविवेकपूर्ण निर्णय– पुरी शंकराचार्य-अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर — अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का दिया गया फैसला देश हित के लिये खतरनाक सिद्ध होगी और इससे आगामी दिनों में अशांति उत्पन्न होगी। अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिये सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांँच एकड़ जमीन दी, वह दुर्भाग्यजनक है। यह भविष्य में आतंकियों के मुख्य ठिकाने के रूप में तब्दील हो जायेगी।
अनन्त श्रीविभूषित पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमद्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने विशेष पत्रकार सम्मेलन में अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि हिंदू एवं मुसलमान शांति में रहे, इसीलिये भारत एवं पाकिस्तान अलग हुये थे। हालांकि अब दोनों ही देशों में शांति नहीं है। पाकिस्तान आतंकियों का केंद्र बिंदु बन गया है। यह बात खुद वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार की है। इसके बावजूद हम अपनी जमीन आतंकियों को दे रहे हैं। उक्त पांच एकड़ जमीन में यदि मस्जिद बनायी जाती है तो फिर अयोध्या और एक मक्के में तब्दील हो जायेगा। शंकराचार्य ने कहा कि आतंकियों का प्रवेश द्वार बन जाएगा और उत्तरप्रदेश पाकिस्तान में तब्दील हो जायेगा। एक ही जगह पर यदि मंदिर और मस्जिद बनायी जानी थी तो फिर पहले क्यों नहीं बनायी गयी ?
शंकराचार्य ने कहा कि नरसिम्हा राव एवं वाजपेयी सरकार के समय में समान निर्णय लिया गया था। इस पर हम राजी नहीं हुये थे, ऐसे में इस निर्णय को रद्द करना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट ने राय प्रकाशित करने से पहले चारों धाम के शंकराचार्य से सलाह नहीं ली। राजनेता अपने हित साधन के लिये धर्मगुरु बना रहे हैं एवं उनके मतों के आधार पर अपने हित साधते हैं। ऐसे में संसद में विशेष अधिवेशन बुलाकर सुप्रीम कोर्ट की राय को खारिज करने के लिये जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने मांग की है।
महाराज ने कहा आगे कहा कि सूर्यवंश में समुत्पन्न मनुपुत्र राजस्वी ईक्ष्वाकु महानुभाव के द्वारा सुप्रतिष्ठित ” अयोध्या ” विश्व की मानव विनिर्मित प्रथम राजधानी है। वह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचन्द्र जी की जन्मभूमि है ।स्कन्ध पुराणादि के श्रीराम जन्म स्थल का स्पष्ट वर्णन किया गया है । भगवान श्री र‍ाम के द्वारा स्थापित राज्य रामराज्य के रुप में ख्यापित है। यह तथ्य विश्व स्तर पर प्रसारित है। सनातन शासन , सनातन धर्म और दर्शन के उपयुक्त भावों को व्यावहारिक धरातल पर अवतरित करता है । सनातनीयों ने विश्व में धर्मराज्य और रामराज्य प्रतिष्ठित कर विश्व मानव को आश्चर्यचकित किया है। बहुत कुछ अंशों में भारत स्वतंत्र होने पर भी परतंत्र है। भारत एक स्वतंत्र देश है और अगर यहाँ उस तत्व का भी अधिकार माना जाता है जिन्होंने बर्बरतापूर्वक मानवता की धज्जियांँ उड़ाकर शासन किया था तो कोई भी यह सिद्ध नही कर सकता कि भारत एक स्वतंत्र देश है। ग्रंथों से प्राप्त अनुग्रह के आधार पर मैं मैं कहता हूँ कि भारत में अभी वह क्षमता नही है कि वह अतीत या भूत से शिक्षा ले सके।

Ravi sharma

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