अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस–सच या दिखावा- रवि शर्मा

ऑफिस डेस्क–संस्कृत में एक श्लोक है “यत्र पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमंते देवता” अर्थात जहां नारी की पुजा होती हैं वहीं देवता वास करते है.स्त्री अराध्य है जिसकी आराधना की जाती है. स्त्री पूजनीय है पूज्य है.अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सिर्फ हार्दिक शुभकामनाएं देने से हमारी जिम्मेवारी पूर्ण नहीं हो जाती,इसके लिए व्यवहारिक जीवन में भी स्त्री वर्ग को उचित सम्मान देना होगा.आम शब्दों मे कहे तो महिलाओं के बिना आप जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. पूर्व निर्धारित किसी एक दिन सोशल मीडिया पर शुभकामना संदेश डालकर सभी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते.स्त्री हर पल किसी न किसी रूप में हमारे साथ रहती है और सभी रूप में स्त्री आराध्य व सम्माननीय है चाहे वह मां,बहन, पत्नी या बेटी के रूप में हो.यह तो प्रकृति की बनाई हुई व्यवस्था है कि दोनों के संयोग के बिना नवसृजन संभव नहीं है. प्रकृति ने व्यवस्था बनाई और मनुष्यों ने इसे अपनी जरूरतों और परिस्थितियों के अनुरूप तोड़ा मरोड़ा.स्त्री और पुरुष के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है अपितु दोनों एक दूसरे के पूरक है. किंतु कुछ पुरुषों की अज्ञानता एवं कुंठित विचारधारा के कारण गलत सोच की अवधारणा पाल कर अपने आप को श्रेष्ठ साबित करने वाले पुरुष वर्ग ने शक्ति प्रदर्शन कर स्त्री पर बाहुबल का प्रयोग किया, जिसे हम जुल्मे शोषण भी कर सकते हैं, और अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर अपनी पुर्णता को ही समाप्त कर डाला.उन्हें यह एहसास नहीं कि कितने कष्ट सह कर उफ तक न करते हुए खुशी खुशी मां (स्त्री)उन्हें जन्म देती है और जन्म लेते ही सारे कष्ट भूल कर मुस्कुराती अपलक नजरों से देखती है मानो सारे जहां की खुशियां मिल गई हो. फिर भी वह पुरुष किशोरावस्था तक आते-आते स्त्री को अपना दोस्त,अर्धागिनी या सहयोगी न बनाकर उसका स्वामी या मालिक बनने का प्रयत्न करते हैं. जिसके कारण समाज का स्तर और अधिक निम्न होता जाता है.निरंतर शोषण से स्त्री पुरुष समाज की नजरों में वह भाग बन गई जिसे पथभ्रष्ट पुरुष अपने बाहुबल से रौंद डालना चाहता है. जब भी कभी कहीं भी कोई आक्रमण या सांस्कृतिक विद्वेष कि अग्नि जली स्त्री प्रथम शोषित हुई.पथभ्रष्ट पुरुष अपनी कामवासना की पूर्ति के लिए निम्न स्तर तक पहुंच चुका है अथवा प्रयत्नशील है. यह महिला दिवस तभी सार्थक होगा जब हर पुरुष नारी की इज्जत करेंगा, चाहे वह मां,पत्नी,बेटी,बहन हो या कोई अजनबी स्त्री के रूप में. महिला दिवस के दिन ही महिलाओं को सम्मान देने की यह गलत सोच हटानी होगी अपितु हर दिन महिला दिवस हो और हर पल हर नजर में उन्हें सम्मान मिले. महिलाओं के लिए सम्मान और श्रद्धा हीं सही मायनों में महिला दिवस है.

रवि शर्मा

Ravi sharma

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