शास्त्रसम्मत राजनीति की परिभाषा — पुरी शंकराचार्य,अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट-मथुरा-

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

मथुरा — बुद्धि सहित जीव का स्वभाव तथ्य (सत्य) का पक्षधर होना है । तदर्थ वस्तुस्थिति को दर्शन विज्ञान तथा व्यवहार में सामंजस्य साध कर प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। राष्ट्र रक्षा अभियान यात्रा में उत्तरप्रदेश की यात्रा पर पहुँचे पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने राष्ट्रसम्मत राजनीति की परिभाषा का विस्तार करते हुये आगे कहा कि भारत के विखण्डन का और विखण्डित भारत के मौलिक स्वरूप को विकृत तथा विलुप्त करने का प्रकल्प अंग्रेजों की देन है। उनकी दुरभिसन्धि समन्वित कूटनीति को अभिशाप न समझ कर वरदान समझने की मनोवृति भी अंग्रेजों की देन है। सर्वहितप्रद सनातन सिद्धान्त और उसके क्रियान्वयन के प्रकल्प में अनास्था भी अंग्रेजों की देन है। विकास के नाम पर सनातन परम्परा प्राप्त व्यासपीठ को तद्वत् गोवंशादि सनातन प्रशस्त मान बिन्दुओं को विकृत तथा विलुप्त करने का कुचक्र भी अंग्रेजों की देन है ।शिक्षा, रक्षा, अर्थ और सेवा के सनातन प्रकल्प के प्रति विद्वेष भी अंग्रेजों की देन है। ऐसी स्थिति में भव्य भारत की संरचना की भावना से सनातन वेदादि शास्त्रसम्मत सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, सम्पन्न सेवापरायण स्वस्थ तथा सर्वहितप्रद व्यक्ति एवं समाज की संरचना राजनीति की परिभाषा उद्घोष है। तदर्थ सद्भावपूर्ण सम्वाद के माध्यम से चयन, प्रशिक्षण और नियोजन का प्रकल्प क्रियान्वित करने में अपनत्व और आस्थापूर्ण आपकी सहभागिता अपेक्षित है। हमारा लक्ष्य धर्म नियन्त्रित पक्षपात विहीन शोषण विनिर्मुक्त सर्वहितप्रद सनातन-शासनतन्त्र की स्थापना है।

Ravi sharma

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