शांति के बिना द्विपक्षीय संबंध सम्भव नहीं — श्रृंगला

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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मास्को — विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने अपने दो दिवसीय मास्को अधिकारिक यात्रा के दौरान कहा कि चीन के साथ भारत के संबंध जटिल हैं और यदि सीमावर्ती इलाकों पर अतिक्रमण’ होता है, तो दोनों देशों के बीच सामान्य द्विपक्षीय संबंध नहीं हो सकते। उन्होंने ‘डिप्लोमैटिक एकेडमी ऑफ रशियन मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन अफेयर्स’ द्वारा आयोजित बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि दोनों बड़े एशियाई देशों के बीच संबंध सीमा की सामान्य स्थिति पर निर्भर करते हैं। श्रृंगला ने मास्को से चीन को कड़ा संदेश देते हुये कहा जैसा कि हमने चीन में हमारे मित्रों से कहा है, यदि सीमावर्ती इलाकों पर शांति नहीं है तो हमारे बीच सामान्य द्विपक्षीय संबंध नहीं हो सकते। ये संबंध सीमा पर सामान्य हालात पर निश्चित ही निर्भर करते हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि हमारे जवानों की जान जाये , सीमा पर अतिक्रमण की स्थिति हो और इसके बावजूद हमारे बीच सामान्य संबंध रहें। बता दें भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध बना हुआ है।श्रृंगला ने कहा, ‘पिछले कुछ दिन में हमने सीमा से बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू की है। चीन के साथ भारत के संबंध जटिल हैं, लेकिन पिछले कुछ दशक में दोनों देशों के बीच संबंध में सुधार हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 1980 के दशक में दोनों देशों ने फैसला किया था कि वे सीमा संबंधी मामलों पर मतभेदों को दूर रखेंगे और व्यापार और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग करेंगे। चूंकि सीमा पर हमारे दृष्टिकोण समान नहीं है , इस मामले को विशेष दूत देखेंगे। इस बीच हम व्यापार तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग विकसित करने पर काम करेंगे। पिछले कुछ साल में चीन के साथ व्यापार काफी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत की सीमा पर चीनी बलों की बड़ी संख्या में मौजूदगी और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण की कई कोशिशों ने संबंधों पर असर डाला है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को अलग-थलग करने के अमेरिका के दृष्टिकोण के बारे में श्रृंगला ने कहा हिंद-प्रशांत को लेकर हमारा नजरिया यह है कि यह एक मुक्त एवं समावेशी क्षेत्र है, जहां देश सहयोग बढ़ाने, कनेक्टिविटी में सुधार करने , नियम आधारित एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के विचार को प्रोत्साहित करने के लिये काम करते हैं, जिसमें नौवहन की स्वतंत्रता दी जाये। उन्होंने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए रूस के साथ निकटता से काम करना चाहता है और हिंद-प्रशांत के जिक्र के बिना भारत एवं रूस के संबंधों पर हर चर्चा अधूरी है। श्रृंगला ने रूस के साथ असैन्य परमाणु ऊर्जा , रक्षा , तेल एवं गैस और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की इच्छा जतायी। भारतीय विदेश सचिव और रूसी विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दोनों देशों के बीच साझेदारी पर भी चर्चा की। इसी के साथ दोनों पक्षों ने कोरोना महामारी और कोरोना वैक्सीन वितरण के संयुक्त प्रयासों के अलावा अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी चर्चा की। श्रृंगला ने रूस के उप विदेश मंत्री मोर्गुलोव के साथ द्विपक्षीय संबंधों , बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग और पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को लेकर चर्चा की। विदेश सचिव की मॉस्को में इस साल की पहली विदेश यात्रा का यह महत्व है कि भारत, रूसी संघ के साथ अपने घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंधों को महत्व देता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के निमंत्रण पर इस साल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आने वाले हैं। उनके कार्यक्रमों की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा रहा है, क्योंकि दोनों देश अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिये तत्पर हैं। मास्को यात्रा के दौरान विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने इसका खुलासा किया।

Ravi sharma

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