रायपुर — आज दुनियाँ का सबसे पहला इंजीनियर , देवशिल्पी , वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिवस के मौके पर देश भर में विश्वकर्मा पूजा धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज के दिन उद्योगों , कंपनियों , दुकानों एवं घरो में मशीनों, औजारों , अस्त्र-शस्त्र सहित विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
सनातन धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने देवी-देवताओं के लिये न सिर्फ भवनों का निर्माण किया बल्कि समय-समय पर अस्त्र-शस्त्रों का भी सृजन किया था। यही वजह है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सभी औजारों या उपकरण पर विश्वकर्मा का प्रभाव माना जाता है। इस दिन कारोबारी और व्यवसायी लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें तो तरक्की मिलती है। वास्तुकला के आचार्य भगवान विश्वकर्मा वास्तुदेव तथा माता अंगिरसी के पुत्र हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी कर्म सृजनात्मक है जिन कर्मों से जीव का जीवन संचालित होता है। उन सभी के मूल में विश्वकर्मा हैं। अत: उनका पूजन जहां प्रत्येक व्यक्ति को प्राकृतिक ऊर्जा देता है वहीं कार्य में आने वाली सभी अड़चनों को खत्म करता है। विश्वकर्मा को देवशिल्पी कहा जाता है उन्होंने सतयुग में स्वर्गलोक, त्रेतायुग में सोने की लंका, द्वापर में द्वारिका और कलियुग में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की विशाल मूर्तियों का निर्माण करने के साथ ही यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी आदि का निर्माण किया। ऋगवेद में इनके महत्व का वर्णन 11 ऋचाओं में किया गया है।