लोकसभा और विधानसभा में नहीं होगी एंग्लो इंडियन सदस्यों की नियुक्ति-

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली — कल केन्द्रीय मंत्रिमंडल से मिली मंजूरी के बाद एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्यों का लोकसभा और विधानसभाओं में नामांकन अब बंद कर दिया जायेगा। केंद्र सरकार ने लोकसभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिये चले आ रहे आरक्षण की व्यवस्था को खत्म करने का फैसला किया है। मोदी कैबिनेट ने लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एससी/एसटी आरक्षण को तो अगले 10 सालों के लिये बढ़ाने को मंजूरी दी। बिल पारित होने के बाद इस आरक्षण की अवधि बढ़कर 25 जनवरी 2030 तक हो जायेगी। मौजूदा आरक्षण 25 जनवरी 2020 तक समाप्त होने वाली थी। इसके साथ ही लोकसभा में एससी और एसटी के रिजर्वेशन को 10 साल तक के लिये बढ़ा दिया गया है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में इन श्रेणियों के लिये आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त होना था। लोकसभा की 543 सीटों में से 84 सीटें अनुसूचित जाति के लिये और 47 अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित हैं। इसके अलावा सरकार एंग्लो-इंडियन समुदाय से दो सदस्यों को नामित करती है, जो इसे 545 सदस्यों का हाऊस बनाती है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में, एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को नामित किया गया था।एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों के लिये आरक्षण का प्रावधान “कुछ समय के लिये” किया गया था। सरकार का मानना ​​है कि समुदाय अच्छा कर रहा था और अब उसे आरक्षण की आवश्यकता नहीं है। अगर जरूरत पड़ी तो बाद में आरक्षण पर पुनर्विचार किया जा सकता है। इस फैसले के बाद राज्य विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिये आरक्षण भी वापस लिया जा सकता है। हालांकि अधिकारियों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।

Ravi sharma

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