हाजीपुर-रश्मिरथी,उर्वशी,परशुराम की प्रतीक्षा,हुंकार,रेणुका,बापु,संस्कृती के चार अध्याय आदी कालजयी रचनाओं के रचनाकार राष्ट्रकवि रामधारी सिंह”दिनकर” की आज 111वीं जयंती है.इस 111वीं जयंती की पूर्व संध्या पर हाजीपुर शहर के वीर कुंवर सिंह कॉलोनी स्थित साहित्य सदन में दिनकर जी का हिंदी साहित्य मे अवदान विषय पर एक परिचर्चा और कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया.कार्यक्रम की अध्यक्षता वैशाली जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा० शशि भूषण कुमार ने किया.वहीं मंच संचालन वरिष्ठ उपाध्यक्ष मेदिनी कुमार मेनन और स्वागत भाषण विजय गुप्ता ने किया.कार्यक्रम में सर्वप्रथम उपस्थित लोगों ने दिनकर जी के चित्र पर माल्यार्पण किया.इसके बाद परिचर्चा सत्र में विषय प्रवेश डॉ० अरुण कुमार निराला ने कराया.
मौके पर साहित्य मंत्री आशुतोष सिंह ने दिनकर जी के बारे में कहा कि क्रांति धर्मिता आजीवन उनमें रही.समाज एवं राष्ट्र के लिए उनकी रचनाएं बहुमूल्य एवं उपयोगी हैं.वही कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ० शशि भूषण कुमार ने कहा कि दिनकर जी दलित चेतना,राष्ट्र चेतना एवं साहित्य चेतना के महान कवि है.उनके महान दर्शन को आत्मसात करने की जरूरत है.डॉ० कुमार ने आगे कहा की हमारे धरती के सपूत देश के राष्ट्र कवि हुए.यह बिहार के लिए गौरव की बात है.हमें यह कहते हुए गौरव की अनुभूति होती है की दिनकर जी जब वैशाली जिला के लालगंज रजिस्ट्रार के पद पर थे तो हमारे 105 वर्ष पुरानी और लगभग एक लाख पुस्तकों की क्षमता वाले शारदा सदर पुस्तकालय से जुड़कर वैशाली जिले के साहित्य के विकास में अपनी प्रशंसनीय भूमिका निभाई थी.दिनकर जी के इस साहित्यिक अवदान को भुलाया नहीं जा सकता है.
परिचर्चा के बाद भव्य कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया.कार्यक्रम में गणितज्ञ नीलमणि,वेदवती,सिद्धि सेन, प्रज्ञा विस्तार,डॉ० एस के मंडल,संजय कुमार सिंह,दिलीप कुमार,धर्मेंद्र कुमार,भाग्य नारायण पासवान,अजय कुमार खुशबू कुमारी,मधु कुमारी,सुनील कुमार समेत कई साहित्य प्रेमी मौजूद रहे.