राममंदिर के लिये हर गाँव से एकत्रित होगा सोना — स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती,अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट-प्रयागराज-

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

प्रयागराज — अयोध्या की श्रीरामजन्मभूमि में भव्य दिव्य शास्त्रोक्त मन्दिर निर्माण पूरे विश्व के रामभक्तों की कामना है। वर्षों से चल रहे संघर्ष का विगत नौ नवम्बर को उच्चतम न्यायालय से आये निर्णय ने अन्त कर दिया है। सब चाहते हैं कि अब शीघ्र मन्दिर निर्माण कार्य आरम्भ होना चाहिये। लोकभावना को ध्यान में रखते हुये पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने विगत मकर संक्रांति को सूर्य देवता के उत्तरायण होते ही मन्दिर निर्माण कार्य आरम्भ कर दिया है ।
उक्त जानकारी न्यायालय में प्रमुख पक्षकार रही संस्था श्रीरामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के उपाध्यक्ष एवं अयोध्या श्रीरामजन्मभूमि रामालय न्यास के सचिव स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने प्रयाग के माघमेला स्थित श्रीशंकराचार्य शिविर में आयोजित प्रेसवार्ता में दी ।
स्वामिश्रीः ने आगे बताया कि शास्त्रों के अनुसार नया मन्दिर वहां बनाया जाता है जहां पहले से कोई मन्दिर न हो । जहां पहले से ही कोई मन्दिर हो और वह जीर्ण शीर्ण या भग्न हो गया हो तो उसे पुनर्निर्मित किया जाता है जिसे जीर्णोद्धार कहा जाता है । इस तरह अयोध्या में निर्मित होने वाला मन्दिर नवनिर्माण नहीं अपितु जीर्णोद्धार की श्रेणी में आयेगा ।शास्त्रों के अनुसार किसी मन्दिर का जीर्णोद्धार करना आरम्भ करने के पूर्व एक छोटे अस्थायी मन्दिर ‘बाल मन्दिर’ का निर्माण किया जाता है । मन्दिर निर्मित होकर पुनः प्रतिष्ठा कर दिये जाने तक देवविग्रहों को उसी बाल मन्दिर में विराजमान किया जाता है जहां उनकी यथाविधि नियमित पूजा अर्चना होती रहती है ।
अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने आगे बताया कि पूज्य पाद शंकराचार्य जी ने इसी अस्थायी बालमन्दिर के निर्माण का आरंभ कर दिया है । उन्होंने बताया कि यह बालमन्दिर चन्दन की लकड़ी से निर्मित किया जायेगा । जिसका आकार 24×24×36 फुट का होगा जिसके मध्य रामलला विराजमान का 6×6×9 फुट का सिंहासन होगा जो कि स्वर्णमण्डित होगा । स्वामी जी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि पूज्य शंकराचार्य जी का मानना है कि केन्द्र सरकार को उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को नियमावली बनाकर उचित ट्रस्ट को जमीन सौंपने के लिये तीन माह का समय दिया है । चारों शंकराचार्यों, पांचों वैष्णवाचार्यों और तेरहों अखाड़ों के रामालय न्यास ने केन्द्र सरकार के समक्ष मन्दिर निर्माण की अपनी प्रतिबद्धता रख दी है । केन्द्र सरकार रामालय न्यास को जब जमीन सौंपेगी तब निर्माण आरम्भ हो सकेगा । यदि इसमें कोई खामी हुई तो असंतुष्ट लोग न्यायालय जा सकते हैं, उसमें भी विलम्ब लगेगा । अतः ट्रस्ट के निर्माण शुरु करने की प्रतीक्षा में विलम्ब नहीं होना चाहिये । इसी भावना से पूज्य महाराज श्री ने मन्दिर निर्माण कार्य आरम्भ कर दिया है ।

एक हजार आठ किलो सोने से मढा जायेगा स्वर्ण शिखर

अयोध्या श्रीरामजन्मभूमि रामालय न्यास द्वारा निर्मित किये जाने वाला मन्दिर विश्व में अद्वितीय होगा । इसे विश्व में अद्वितीय अंगकोरवाट मन्दिर से प्रेरणा लेकर बनाया जायेगा । 1008 फुट ऊंँचे शिखर 1008 किलो सोने से मण्डित होगा । साथ ही एक लाख आठ लोगों के एक साथ दर्शन करने, भोजन प्रसाद ग्रहण करने की सुविधा होगी ।

देश के हर गांव से संग्रहीत होगा सोना

स्वामिश्रीः ने बताया कि अयोध्या राममन्दिर के लिये देश के प्रत्येक गांव और शहर के हर मोहल्ले से एक ग्राम सोना संग्रहीत करने का लक्ष्य रखा गया है जिस पर 22 जनवरी को प्रयाग संत-भक्त संसद् में निर्णय लिया जायेगा ।

22 जनवरी को प्रयाग में होगी संत-भक्त संसद्

अयोध्या के सन्दर्भ में व्यापक विचार विनिमय करने हेतु 22 जनवरी को दोपहर 02:00 बजे से श्रीरामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के तत्वावधान में संत-भक्त संसद् का आयोजन शंकराचार्य शिविर में किया गया है जिसमें अयोध्या के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण निर्णय लिये जायेंगे ।

कल जनता के अवलोकनार्थ रखा जायेगा मन्दिर का प्रारम्भिक माडल

कल दोपहर एक बजे मन्दिर का माडल जनता के अवलोकनार्थ शंकराचार्य शिविर में रखा जायेगा ।

आचार्यों की उपेक्षा स्वीकार्य नहीं

स्वामिश्रीः ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि रामालय न्यास सनातन हिन्दू धर्म के सर्वोच्च धर्माचार्यों का न्यास है । उसकी उपेक्षा कर कोई और ट्रस्ट यदि केन्द्र सरकार बनाती है तो उसका प्रबल विरोध किया जायेगा । इसलिये नहीं कि हमारा किसी से विरोध है बल्कि इसलिये कि सर्वोच्च आचार्यों के उपस्थित होते हुये किसी और को आगे करने का मतलब आचार्यों का असम्मान है जिसे किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जा सकता है ।
महन्त नृत्यगोपाल दास जी को अध्यक्ष बनाये जाने की अटकलों के सन्दर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमने केन्द्र सरकार को कहा है कि रामालय न्यास के पचीस न्यासियों का न्यासी मंडल है जो नीति निर्धारण करेगा । कार्यकारी मंडल में सरकार जिसे चाहे उसे न्यास स्वीकार करेगा । नृत्यगोपाल दास जी आदरणीय सन्त हैं यदि सरकार उन्हें चाहती है तो रामालय न्यास के कार्यकारी मंडल का अध्यक्ष उन्हें बना सकती है ।
पर ऐसा आचार्यों की उपेक्षा कर नहीं किया जाना चाहिये ।

Ravi sharma

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