मानसिक स्वास्थ्य पर कार्यशाला आयोजित,सूबे मे औसतन आबादी के 10% लोग मानसिक बीमारी के शिकार-पटना

पटना-आज राज्य आयुक्त निशक्ततता(दिव्यांगजन) बिहार,पटना,समाज कल्याण विभाग ,बिहार सरकार के तत्वाधान में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गयाइस अवसर पर राज्य भर से अस्सी प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया.कार्यशाला का आरम्भ अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप-प्रज्वलन कर किया गया.इस अवसर पर राज्य आयुक्त निशक्ततता (दिव्यांगजन) बिहार, पटना द्वारा कार्यशाला के संबोधन में बताया गया की राज्य में दिव्यांगजन के हित में व्यापक कार्य हो रहे है.दिव्यांगजन से संबंधित कानून बिहार में लागू कर दिया गया है.अब इससे जुड़े लाभार्थी ससमय उचित लाभ ले रहें हैं.मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में बताया गया कि बिहार सरकार इस दिशा में कार्य हेतु प्रयासशील है.बड़े पैमाने पर मनोवैज्ञानिक प्रोफेशनल व मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट को प्रशिक्षण देने की दरकार है. आज के इस कार्यशाला में सूबे के राज्य आयुक्त निशक्ततता ने तमाम प्रोफेशनल को यह शपथ दिलाई की राजधानी और अन्य जिलों में मानसिक रोगी भटके नही,खासतौर से महिला मानसिक रोगियों को देखने पर तत्काल उन्हें सूचित करें.इस अवसर पर उन्होंने स्वयं पहले और बाद में अन्य सभी प्रोफेशनल को यह शपथ दिलायी की मानसिक बीमारी से जूझते बेसहारों का सहारा बना जाये.इन्होने हर स्कूल में एक मनोवैज्ञानिक रखने का सुझाव दिया.इस अवसर पर डॉ॰ पी.के सिंह,विभागाध्यक्ष व निदेशक कोईलवर मेंटल अस्पताल ने बताया कि बिहार में औसतन मनोरोगी की संख्या कुल आबादी का 10% है.राज्य सरकार की ओर से मानसिक स्वास्थ्य पर अभी 11जिलों में कार्य हो रहे है और अभी 20 चिन्हित जिलों में काम होने जा रहा है.इन्होने मीडीया को संबोधित करते हुए कहा की बिहार में तत्काल1000 मनोचिकित्सक तथा उससे बहुत ज्यादा मनोवैज्ञानिक प्रोफेशनल की सख्त से सख्त आवश्यकता है.अकेले कोईलवर मेंटल हास्पिटल में अबतक 65000 मरीज 2018 तक व इस साल 2019 में 70000 मानसिक रोगियों का ईलाज किया जा चुका है.इस अवसर पर पटना के मनोवैज्ञानिक डॉ॰ मनोज कुमार ने बताया की बिहार में बच्चों,किशोरों, युवाओ,व्यस्कों और बुजुर्गों में अलग-अलग किस्म के मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो रही है.इन्होंने अपने कार्यशाला के संबोधन में किशोरों के बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य पर सजग होने की जरूरत पर बल दिया.कम उम्र के बच्चों में अवसाद,मोबाइल पर निर्भरता व खेलकूद से दूरी व माता-पिता के वर्किंग होने से बच्चों में भावनात्मक विकास सही से नही हो रहा है जिससे मानसिक बीमारियां घर कर रही है. किशोरों में परीक्षा के दबाव,अधिक पैसे खर्च,उच्च इमेज और शोखी बघाड़ने व नशा आदि का प्रचलन बढना भी उन्हें मानसिक रोग के आगोश में धकेल रहा है.इसी प्रकार वयस्कों में भी वैवाहिक जीवन,रोजगार से संबंधित तनाव,नशा,आत्महत्या जैसी मानसिक समस्या बिहार में देखी जा रही है.कार्यक्रम में इन्होंने यह भी कहा कि बुजुर्गों को भी समाज में दरकिनार किया जा रहा है जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.कार्यशाला में डॉ॰ संतोष कुमार,मनोचिकित्सक,एन एम सी एच ,पटना द्वारा विभिन्न मानसिक रोग के लक्षणों को सरल भाषा में बताया गया.इन्होने कहा कि आज हर 4 में से 1व्यक्ति किसी न किसी मानसिक रोग से पीड़ित है. इन सबको मदद की दरकार है. जरूरत हैं की मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से परामर्श इस संदर्भ में लिया जाये.इस अवसर पर डॉ॰ राजेश कुमार, विभागाध्यक्ष,आई जी आइ एम एस ,पटना,डॉ॰ मनोरंजन प्रसाद,वरि नैदानिक मनोवैज्ञानिक,डा.आशुतोष,मनोवैज्ञानिक, सीआरसी पटना,मानवाधिकार एक्सपर्ट डॉ॰ ऋतु रंजन आदि ने भी संबोधित किया.धन्यवाद ज्ञापन व मंच संचालन अपर आयुक्त,निशक्ततता (दिव्यांगजन), बिहार, पटना डॉ॰ शंभू रजक द्वारा किया गया .

Ravi sharma

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