महिलाओं को न्याय दिलाने में फास्ट ट्रैक कोर्ट, स्पेशल कोर्ट की भूमिका पर सेमिनार का आयोजन–पटना

बिहार में फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किये जाने की आवश्यकता – जस्टिस मृदुला मिश्रा


पटना–आज मानवाधिकार दिवस पर चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में “स्त्रियों को न्याय दिलाने में फास्ट ट्रैक कोर्ट और विशेष अदालतों की भूमिका” विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का उद्देश्य महिलाओं को मिलने वाले न्याय में त्वरित न्याय मिलने की भूमिका पर चर्चा करना था। न्याय व्यवस्था में देरी,देरी के कारणों,किन तरीकों से इस देरी को कम किया जाये और विशेष रूप से बिहार में इसकी स्थिति पर बाहर से आये कई विद्वानों के साथ बिहार के कई बुद्दिजीवियों और न्यायविदों ने चर्चा की।

 

गोष्ठी की शुरुआत सीआरसी के सेंटर कोऑर्डिनेटर अमन कुमार ने अतिथियों के स्वागत भाषण से किया। इसके बाद मंच पर मौजूद गणमान्य अतिथियों जस्टिस श्रीमती मृदुला मिश्रा,मनोरंजन प्रसाद श्रीवास्तव, प्रो० एस.पी. सिंह,सुश्री ममता कल्याणी (एडीजी,वीकर सेक्शन), सुश्री रत्ना,श्री योगेन्द्र कुमार एवं श्री संगीत कुमार ने दीप प्रज्वलित कर परंपरागत तरीके से कार्यक्रम की शुरुआत की। अतिथियों के अभिभाषण का आरंभ सुश्री ममता कल्याणी ने किया।उन्होंने कहा कि कानूनों में कई बदलाव आये हैं,फिर भी ये देखने में आता है कि स्त्रियों को न्याय नहीं मिलता।सिर्फ 2021 में स्त्रियों के खिलाफ हुई हिंसा के सरकारी आंकड़े बताते हुए उन्होंने कहा कि ये कोई दो-चार दस की समस्या नहीं बल्कि एक बड़ी तादाद में दिक्कत है,न्याय में देरी के उन्होंने कई कारण भी बताये।

 

प्रोफेसर एस.पी.सिंह (सीएनएलयू) ने कहा कि केवल एक दिन “मानवाधिकार दिवस” पर नहीं बल्कि हमें इस मुद्दे पर लगातार सोचना होगा।उन्होंने बताया कि हमारे पास पारिवारिक अदालतें 1984 से हैं और आज की तारिख में पटना और कटिहार में तो दो-दो परिवार न्यायालय हैं।वहीं कुलसचिव मनोरंजन श्रीवास्तव ने अपनी बात रखते हुए कहा कि बिहार में करीब एक वर्ष से कोई भी फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं है। केंद्र सरकार की और से फण्ड हैं,अदालतों का आदेश है, लेकिन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं बने। फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट हों,तभी हम उनको अच्छा या बुरा बता सकते हैं।उनका होना सबसे जरूरी है।

माननीय न्यायाधीश श्रीमती मृदुला मिश्रा ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट को स्थापित करने के लिये 2022 तक का समय था,अब उसे बढ़ाकर सरकार ने 2023 कर दिया है। इस बात के विरुद्ध मेमोरैंडम दिया जाना चाहिए।

उद्घाटन सत्र के अंत में अतिथियों को अंगवस्त्र (शाल) से सम्मानित किया गया।जिसके बाद पहला तकनीकी सत्र शुरू हुआ। इस सत्र में “महिलाओं के विरुद्ध यौन अपराध और न्याय पाने में फास्ट ट्रैक कोर्ट की भूमिका” पर सुश्री रत्ना अप्पनेंदर ने बात शुरू की और भारतीय दंड संहिता तथा सीआरपीसी में आये बदलावों की बात की। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए डॉ. विजय कुमार विमल ने कहा कि हमारे पास कुछ कानून हैं, कुछ नए हम बनाने का प्रयास भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कानून के होने पर भी कानूनों का प्रयोग प्रभावी ढंग से न होना भी एक बड़ी समस्या है।
प्रोफेसर डॉ. सुभाष चन्द्र रॉय ने सत्र के अंत में कहा कि ट्रैक शब्द का अर्थ ही मार्ग या पथ है। फ़ास्ट ट्रैक का अर्थ कानूनों के प्रभावी ढंग से प्रयोग में आने वाली बाधाओं को हटाना है। अधिक लडकियां शिक्षित हो, कानून जैसे विषयों की पढ़ाई करें, विधिक सेवाओं में आयें तभी ऐसा हो सकता है। इसके लिए समाज में जन-जागरण भी आवश्यक है।

दूसरे तकनिकी सत्र में “लैंगिक हिंसा” के अलग-अलग मामलों पर चर्चा हुई। इस सत्र में प्रोफेसर श्री संतोष कुमार (अधिवक्ता), डॉ प्रिया दर्शनी (सीएनएलयू) एवं डॉ. संगीत कुमार ने भाग लिया।
डॉ. प्रियदर्शनी (सीएनएलयू) ने इस तकनिकी सत्र का अंत करते हुए बताया कि कई मामलों में कानून हैं, लेकिन उनका प्रयोग उचित ढंग से नहीं हो रहा।

तीसरे तकनिकी सत्र में “परिवार अदालतों कि महिला सुरक्षा में भूमिका” पर चर्चा हुई। इस सत्र में प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार (सीएनएलयू), श्रीमती नंदिता एस झा (सीएनएलयू), एवं डॉ. योगेन्द्र कुमार वर्मा (विधि विभाग प्रमुख, पटना यूनिवर्सिटी) ने भाग लिया। चर्चा में डॉ योगेन्द्र वर्मा ने कई सवालों पर बात की। उन्होंने पूछा कि हम पीड़ित पक्ष को क्या दिलवा पाते हैं? उन्होंने कहा कि हमें ऐसे समाज का निर्माण करने की जरुरत है जिसे कानूनों के कम से कम प्रयोग की आवश्यकता हो।
इसी सत्र में डॉ. प्रोफेसर अजय कुमार ने निजी अनुभव से बताया कि कानून का पालन सुनिश्चित करवाने वालों में व्यवहार परिवर्तन की जरूरत भी है। इस सत्र में श्रीमती नंदिता झा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि विवादों को सुलझाने में बातचीत की भूमिका भी होती है। पारिवारिक मामलों को बातचीत से सुलझाया जा सके तो बेहतर होगा।

सभी तकनिकी सत्रों में प्रतिभागियों ने अपने प्रश्न रखे, जिनका उपस्थित विद्वानों द्वारा संतोषजनक उत्तर दिया गया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन सीएनएलयू के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर चन्दन कुमार ने किया और सभी प्रतिभागियों एवं उपस्थित विद्वानों का सफल कार्यक्रम के संचालन में प्रतिभागिता हेतु धन्यवाद दिया। सीएनएलयू एवं अन्य विधिक विश्वविद्यालयों के छात्रों, बुद्धिजीवियों और कानून सम्बन्धी क्षेत्रों में कार्यरत करीब 200 लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

Ravi sharma

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