महापुरुषों को मरने के बाद ही भारत में सम्मान दिया जाता है,विश्व के महान गणितज्ञ को श्रद्धांजलि-डा० रुपक कुमार सिंह

इसे राजनीति के चश्मे से न पढ़ा जाए.

महान गणितज्ञ के मौत के बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलेंस मुहैया न करवाना सरकार के सुशासन होने के फर्जी दावे की पोल खोलती है.
बड़ी विडम्बना है! गांधी और अम्बेदकर के विचारों को आसानी से आत्मसात करने वाला महान भारत अपने वैज्ञानिक वशिष्ठ नारायण सिंह की योग्यता को न तो समझ पाया नाहि कद्र किया। इसे आप आधुनिक भारत और सरकारी मैकेनिज्म की अयोग्यता कह सकते है.
एक डाटा जो वायरल हो रहा है, अगर यह सही है तो लालू भ्रष्ट होते हुए भी असली सामाजिक न्याय के मसीहा है, और उनका अराजक शासन भी नीतीश कुमार के सुशासन से कहीं बेहतर था.


1994 जब लालू जी बिहार के मुख्यमंत्री थे। उन्हें जानकारी मिली कि देश दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का पता लग गया है। छपरा के डोरीगंज बाजार में उनके ही गाँव के सुदामा राम और कमलेश राम को कचरे के ढ़ेर पर विक्षिप्त हालत में वशिष्ठ बाबु मिले थे। लालू जी की जिज्ञासा और संवेदनशीलता लालू जी को वशिष्ठ बाबु के घर तक खींचकर ले गई। लालू जी वशिष्ठ बाबु के घर गए उनसे मिलने। वो आंगन में खाट पर बैठे थे वहीं वशिष्ठ बाबु चौकी पर पेट के बल लेटे हुए थे। लालू जी को एक महान विभूति की ऐसी हालत देखी नहीं गई। उन्होंने घोषणा की कि चाहे बिहार को बंधक ही क्यों न रखना पड़े, इनका इलाज विदेश तक कराएंगे।
लालू प्रसाद जी ने 1994 में ही वशिष्ठ बाबु के बेहतर इलाज के लिए बंगलूरू के निमहंस अस्पताल में सरकारी खर्चे पर भर्ती कराया। 1997 तक उनका इलाज चला। जब स्थिति में सुधार हुई तो वे अपने गाँव बसंतपुर लौट आये।
तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव जी ने वशिष्ठ बाबु एवं उनके परिजनों की माली हालत सुधारने हेतु उनके भाई-भतीजे को सरकारी नौकरी दी। इतना ही नहीं जिन दो भाइयों कमलेश राम जी तथा सुदामा राम जी ने वशिष्ठ बाबु को विक्षिप्त हालत में खोजा था उन्हें भी लालू जी ने आपूर्ति विभाग में नौकरी दे दी। आज भी वशिष्ठ बाबु के भाई-भतीजा सहित कुल 5 लोग विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी कर रहे हैं।
डाॅ वशिष्ठ नारायण सिंह आप अगली बार अमेरिका या इंगलैंड, फ्रांस या फिर रूस मे जन्म लेना पर भारत में नहीं क्योंकि यहाँ फिर से आपकी योग्यता का कत्ल कर दिया जाएगा, यह भारत है जहाँ महापुरुषों को मरने के बाद ही सम्मान दिया जाता है.
विश्व के महान गणितज्ञ वशिष्ठ बाबू के साथ-साथ बिहार के सुशासन की सरकार को भी विनम्र श्रद्धांजलि…
(डाॅ. रुपक कुमार सिंह)

Ravi sharma

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