बिहारी लोकगीतों के नाम रही फिजी की एक शाम,नीतू नवगीत के गीतों पर झूमें लोग–

नादी (फिजी)–फिजी गर्वमेन्ट काॅउन्सिल तथा साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था, मुम्बई द्वारा नादी मे श्रीराम कथा के विश्व संदर्भ कार्यक्रम के तहत फिजी की एक शाम राम कथा और लोकगीतों के नाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें लोक गायिका डाॅ. नीतू कुमारी नवगीत ने बिहार के अनेक पारंपरिक लोक गीतों की प्रस्तुति करके फिजी वासियों का दिल जीत लिया।नीतू नवगीत ने गणेश वंदना से अपने कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए प्रभु श्रीराम और माता जानकी के जन्म से लेकर विवाह तक के प्रसंगों की व्याख्या करते हुए लोकगीत प्रस्तुत किये। उन्होंने सोहर गीत, संस्कार गीत और विवाह गीतों की शानदार प्रस्तुति दी।


फिजी वासियों ने राम सीता प्रथम मिलन प्रसंग पर आधारित गीत देख कर रामजी को जनक नंदनी बाग में बस खड़ी की खड़ी रह गई, राम देखें सिया को सिया राम को अखियाँ लड़ी तो लड़ी रह गई, को खूब पसंद किया। विवाह के अवसर पर गाये जाने वाले गाली गीत रामजी से पूछे जनकपुर के नारी बता द पहुना लोगवा देत काहे गारी, बता द पहुना को भी लोगों ने खूब पसंद किया। जे सुखवा है ससुरारी में, वो सुखवा है कहीं न गीत को भी लोगों ने खूब पसंद किया। नीतू नवगीत ने सियाजी बहिनिया हमार हो, राम लगीहें पहुनवा, भिखारी ठाकुर का प्रसिद्ध गीत पिया गईले कलकतवा ऐ सजनी, कजरी गीत सेजिया पे लोटे काला नाग, कचैड़ी गली सुन कइलअ बलमु तथा छठ गीत केलवा के पात पर उगल सुरूजदेवअ झांके झुके भी गाया। फिजी गिरमिट काॅउन्सिल के महासचिव सेल्वा नन्दन ने पूर कार्यक्रम में आयोजन में मुख्य भूमिका निभाई और भारत से आये मेहमानों का गरमजोशी से स्वागत-सत्कार किया।

फिजी हिन्दी टीचर्स एसोसिएशन की सचिव विद्या सिंह, गिरमिटिया काॅउन्सिल के ट्रस्टी कांती कुन्जा, थेन इंडिया सन्मार्ग इक्या संगम ऑफ़ फिजी के चीफ एक्सक्यूटिव ऑफिसर जय नारायण, रागणी राव, जिन्नत, अरिस्मा, ज्ञानचन्द, ज्योति घनश्याम व्यास, नमिता कुमारी, शताक्षी शैली आदि उपस्थित रहे। मंच संचालन ज्योति व्यास और विद्या सिंह ने किया। नमिता कुमारी ने मेरे घर राम आयें हैं गीत पर पारंपरिक नृत्य किया जबकि शताक्षी शैली ने गणेश वंदना पर भाव नृत्य पेश किया।

Ravi sharma

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