बाबा साहेब के जीवन संदेश जन जन तक पहुँचे — पीएम मोदी

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
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नई दिल्ली –आज़ादी की लड़ाई में हमारे लाखों-करोड़ों स्वाधीनता सेनानियों ने समरस , समावेशी भारत का सपना देखा था। उन सपनों को पूरा करने की शुरुआत बाबासाहेब ने देश को संविधान देकर की थी। देश बाबा साहेब अंबेडकर के कदमों पर चलते हुये तेज़ी से गरीब , वंचित , शोषित , पीड़ित सभी के जीवन में  बदलाव ला रहा है। बाबा साहेब ने समान अवसरों , समान अधिकारों की बात की थी। आज देश जन धन खातों के जरिये हर व्यक्ति का आर्थिक समावेश कर रहा है। बाबासाहेब अम्बेडकर ने स्वतंत्र भारत को एक मजबूत आधार दिया , ताकि देश अपनी लोकतांत्रिक विरासत को मजबूत करते हुये आगे बढ़ सके। बाबा साहेब के जीवन संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिये भी आज देश काम कर रहा है।
उक्त बातें आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ के 95 वें वार्षिक सम्मेलन और कुलपतियों की राष्ट्रीय संगोष्ठी में डा० भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि देकर उनके महान कार्यों पर प्रकाश डालते हुये कही। पीएम मोदी ने आगे कहा बाबा साहेब से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है।डॉ.राधाकृष्णन जी ने शिक्षा के जिन उद्देश्यों की बात की थी , वो ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल में दिखते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति जितनी व्यावहारिक है , उतना ही व्यावहारिक इसे लागू करना भी है। छात्र क्या हासिल कर सकते हैं यह उनकी आंतरिक शक्ति पर निर्भर करता है। यदि संस्थाएं भी उन्हें यह ताकत प्रदान करती हैं, तो वे जो चाहते हैं उसे पूरा कर सकते हैं। शिक्षकों को छात्रों के लिये तीन प्रश्नों का पता लगाना चाहिये। वे क्या करने में सक्षम हैं ? उन्हें अगर अधिक सहयोग मिले तो क्या हासिल कर सकते हैं ? और और वे क्या करना चाहते हैं ? पीएम मोदी ने आगे कहा जब ज्ञान आता है, तब ही आत्मसम्मान बढ़ता है । आत्मसम्मान से व्यक्ति अपने अधिकार अपने कर्तव्य के लिये जागरूक होता है और समान अधिकार से ही समाज में समसरता आती है और देश प्रगति करता है।बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ के 95 वें वार्षिक सम्मेलन और कुलपतियों की राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर पर किशोर मकवाने द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल और मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी मौजूद रहे। इसका आयोजन अहमदाबाद स्थित डॉ. बीआर अंबेडकर खुला विश्वविद्यालय ने किया। गौरतलब है कि देश में उच्च शिक्षा की मुख्य और शीर्ष संस्था भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ (एआईयू) ने 14-15 अप्रैल को अपने 95वें वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया है। यह सम्मेलन वह अवसर है जब एआईयू अपनी पिछले वर्ष की उपलब्धियों का प्रदर्शन करता है, अपनी वित्तीय स्थिति का लेखा जोखा प्रस्तुत करता है और आने वाले वर्ष के लिए अपनी योजनाओं के बारे में बताता है। यह वह मंच भी है, जिसमें ज़ोनल कुलपति सम्मेलन की सिफारिशों तथा पूरे साल हुये अन्य वैचारिक आदान प्रदान के बारे में सदस्यों को जानकारी दी जाती है। इस सम्मेलन के साथ ही एआईयू के 96वें स्थापना दिवस का समारोह भी आयोजित है। एआईयू की स्थापना वर्ष 1925 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी सरीखे महान निष्ठावान नेताओं के संरक्षण में हुई थी। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के जीवन पर किशोर मकवाना द्वारा लिखित चार पुस्तकों डॉ. अंबेडकर जीवन दर्शन, डॉ. अंबेडकर व्यक्ति दर्शन, डॉ. अंबेडकर राष्ट्र दर्शन और डॉ. अंबेडकर आयाम दर्शन का विमोचन किया।

Ravi sharma

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